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समस्या की उम्र
जिंदगी की हर परेशानी का बस एक ही कारण होता है कि जब हम उसे हल कर सकते हैं तब हम हल नहीं करते, जब तक कि किसी भी बात को रोकना हमारे बस में होता है तब हम बस उसे बढ़ाए जाने का काम कर रहे होते हैं।जब बात अपनी हद पार कर चुकी होती है तब हम अपना होश संभालते हैं,परंतु तब कुछ किया जाना काफी कठिन या नामुमकिन हो जाता है।जब तक कुछ किया जा सकता था तब तक हम आलस में डूबे रहते हैं। उस आलस्य के दौरान एक समस्या कई और समस्याओं को जन्म दे देती है और फिर घबराहट में हम टूटकर बिखरना शुरू हो जाते हैं।घबराकर हम अपना आंतरिक संतुलन खो बैठते हैं और छोटी से छोटी समस्या हल करना भी बहुत कठिन मालूम पड़ता है ।समस्याओं के ढेर तले दबकर हमारा आत्मविश्वास भी खो जाता है। आत्मविश्वास खोते ही हमारी बुद्धि व समझ काम करना बंद कर देती है।किसी भी समस्या को हल करने करने का भरोसा ख़त्म होने लगता है। हमें महसूस होने लगता है की हम कुछ भी करें हमारी समस्या का हल नहीं होगा और हल ना करने का संकेत मिलते ही हम पूरी तरह बिखर जाते हैं।
यहां पर ध्यान देने लायक एक मंत्र या है जिससे मन के इस बिखराव से बचा जा सकता है और खुदको संभाला जा सकता है।हम सभी के अंदर एक काबिलियत होती है कि जब मुसीबत पहली दस्तक देती है तो बड़ी सटीकता से हमें महसूस होती है और हमें एहसास भी होता है कि यह छोटी सी बात बढ़कर बड़ी समस्या बन सकती है( भले हम कितना भी कहें कि हमें अंदाजा न था, यह बात इस कद्र बिगड़ जाएगी) तो जैसे ही किसी बात की पहली दस्तक से हमें अंदाजा हो जाए कि यह बात अपने पीछे पीछे कई बड़ी मुसीबतों को लेकर आएगी,तभी संभलिए और अपने अंतर्मन से जुड़ें,और खुदसे बात करें,मुसीबत सुलझाएं और हल 100% सामने ही रखा होगा।
हो सकता का इस सब में उठा क्रोध आपको उस हल पर चलने से रोके और मुसीबत को बेलगाम सोच देकर उसे बढ़ने को इतना पोषण दे कि वह मुसीबत संभलनी मुश्किल हो जाए।
एक उदाहरण से समझते हैं - हवा का एक झोंका दीपक की जलती लौ को बड़ी आसानी से बुझा देता है परंतु किसी घर या जंगल आदि में लगी आग की बड़ी लपटों को हमेशा बढ़ा देता है,तो कहने का अभिप्राय है कि छोटी समस्या को हल करना आसान ही नहीं बल्कि हमारे ही हाथ में होता है, जबकि बढ़ चुकी समस्या अपने साथ कई और समस्याओं को जोड़कर उसे भयानक आग की लपटों में तबदील कर देती है जिसपर काबू पाना बहुत कठिन हो जाता है।
तो जिस पल मन को संकेत मिले कि कोई गलत बात की जिंदगी में दस्तक हुई है,तुरंत रुकें,खुद को सचेत करें, संभलें और उस एक छोटी सी बात को अपनी जिंदगी में बड़ी मुसीबतें की जड़ बनने से रोक लें

किरनदीप