...

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अमीरी गरीबी
पास के घर मे शादी थी वो नोट उड़ा रहे थे,
बगल के लोग गरीब थे वो नोट जुटा रहे थे,
आखिर पड़ोस मे शादी का बुलावा था
न जाने का सवाल ही नहीं था,
इसलिए अपने छुपाये नोट खुद ही
उठा रहे थे,
वो गरीब तो थे मगर दिखना नहीं चाहते थे,
इसी झूठी शान मे चमक कर जा रहे थे,
शादी का माहौल था ख़ुशी मे वहां सब नजर
आ रहे थे,
और खाली हाथ देख पड़ोसी हिसाब लगा रहे थे,
दिन ब दिन हालात ये बढ़ते जाएंगे
अगर लोग समाज को झूठ का आईना दिखाएंगे
एक अमीर है तो ऊँची शान दिखायेगा
दूसरा गरीब है मगर खुद को वहाँ पहुंचाएगा
कोशिश उसकी हर वक़्त यही रहेगी की
पूरी होंगी ख्वाहिश उसकी अब ये ग़रीबी. नहीं रहेगी
शान दिखाने के लिए वह भी मन मे ठानेगा
अच्छाई से नहींहुआ तो बुराई से कमायेगा
दिखावे के लिए वो कुछ भी करेगा मगर
ग़रीबी मे शर्मसार खुद को नहीं करेगा
यही सोच आगे तक लोग बढ़ जाते हैं
अच्छाई का साथ छोड़ बुराई कर आते हैं
धीरे धीरे बुराई से नाता गहरा हुआ
अब उनकी गर्दन पर है पुलिस का डंडा
ठहरहुआ
फिर वही कुंठित हो कर आगे भी यही कमाते हैं
दुनिया की माया मे खुद को भूल जाते हैं
और जीवन उनका इसी सफर मे कट जाता है
ख़ुशी कोई मिल नहीं पाती उन्हें, नाम मगर
थानों मे लिख जाता है!
छोटी सी ख्वाहिस से शुरू ये सफर बहुत लम्बा
हो जाता है
फिर वही पड़ोस वाले उनसे कटने लगते हैं,
धीरे धीरे समाज से भी इन्हें दुत्कार मिलती है
पुलिस इन्हें इल्जाम लगा कर गुनहगार कहती है!!!!

© sangeeta ki diary