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एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त।।
वह बलात्कारी अब राजा (लेखक) के आदेश पर चुप बैठकर राजा के किसी व्यक्ति से कोई खबर या सूचना आने मन ही मन मनन करने लगता है।।

और तभी अचानक वो क्या देखता है कि कन्या को होश आ रहा और वो कुछ हरकत कर रही है तो वो फिर अन्दर आने कि बहुत ज्यादा कोशिश कर रहा होता हैं मगर राजा अभिवैलाप त्रोढाचारी के वो दो पहरेदार उसे लाख कोशिश कर लेने बावजूद भी बिल्कुल अन्दर नहीं आने दे रहे थे।।

वो दो सैनिक रामानन्द सागर और मूलनागर नवलामी जो राजा साहब के आदेशा अनुसार किसी को भी अन्दर नहीं आने दे रहे थे।।
और वो कन्या होश में तो आ गई थी मगर वो बहुत ज्यादा कराह रही थी आह आह आह मगर कोई भी उस ध्यान नहीं दे रहा था।। क्योंकि वह उस स्थान पर अकेली ही थी।।
और फिर जो हुआ वो एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में बहुत बड़ा योगदान और सबक बन गया।।

तभी एक भिखारी एक किन्नर एक विधवा एक सुहागन एक गर्भवती और एक नया जोड़ा ओर महासवामी पठकेशवरनाथ पट्टी वाले गुरुजी आ पहुंचे।।
और सब ने एक एक करके राजा के सैनिकों से गुहार लगाई विनती की मगर वो कह बोले -चले आए मुह के मगवता मुह में रोटी नहीं बदन पर वस्त्र नहीं और करे ज्ञान का तमाशा और उन्हीं में एक २०० वर्ष पुरानी एक अधमारी बुढिया भी थी जिसका नाम फूलकेशवरी छीरावाहिनी था वो एक हखीम वेष में थीं।।
उन्होंने कहा -बबुनी छुरी जरी जाए मगर तोहरी नाक ना कटि जावे।।
मगर फिर भी उन सैनिकों ने केवाड नहीं खोला।।
और राजा साहब के आने का इंतजार करते रहे।।
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