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सुकून को किसी और के नाम कैसे लिख दूं... जब इसको खोजने में मदद तुमने की है...😊
मेरे कान्हा.....
सुकून को किसी और के नाम कैसे लिख दूं... जब इसको खोजने में मदद तुमने की है...😊 अपनी पिछली पोस्ट में बोला है ना कि तुम्हें अपना सुकून लिखा है मैंने... सुनाऊंगी किसी दिन... तो लो आज आख़िर सुना ही देते हैं....
😊😊
तुम्हें याद करने से अब तकलीफ नहीं होती या यूं कहें कि तुम्हारे जाने के बाद तुम्हारी यादें रुलाती नहीं, तुम्हारे संग बिताए पल याद करके मन और आँखे भर नहीं आतीं, होंठ मुस्कुरा देते हैं हौले से।
तुमने बोला है कि इंतजार मत करना तो नहीं करूंगी लेकिन तुमसे मिलने की इच्छा हर रोज़ करूंगी,
उम्मीद नहीं करती कि तुम मेरे पास हमेशा के लिए आ जाओ किन्तु तुम्हारे ही रहेंगे हम, ये बात का संकल्प मैं हर रोज़ करती हूं और करूंगी।
हमारा मिलना और बिछड़ना पता ही नहीं चला ना...?? वो इसलिए भी क्योंकि हम बिछड़कर भी नहीं बिछड़े, अब भी हो तुम मेरे, हमेशा रहोगे, सांसों संग आ जाते हो।
हम दूर नहीं नहीं हैं ये हमें पता है लेकिन इन सबको नहीं पता होगा क्योंकि ये हमारे साथ को हमारे साथ होने से जोड़कर देखते हैं ये बात हम जानते हैं कि हमारी आत्माएं प्रेम के द्वारा जुड़ी हैं एक दूसरे से।
बिन कहे कोई चला जाए तो थोड़ा मुश्किल होता है स्वीकार कर पाना खुद को कि आख़िर ऐसा क्या हुआ जो वो तब चले गए जब सबकुछ ठीक चल रहा था, जबकि तब नहीं थे जब इतनी सारी मुश्किलों ने रोका था रास्ता, लेकिन हम परेशान नहीं होंगे क्योंकि हमने स्वीकार किया है कि तुम मुझे यूं ही मिलने थे तो मिल गए और अब हमें तुम्हारे साथ यूं ही रहना है, तुम मुझे यूं ही मिलोगे 😊😊।
वैसे एक बात कहूं अब और भी सुकून है क्योंकि बातें इकतरफा हैं।
हां, जिस दिन तुम्हें सोचती हूं उस रात तुम मेरे सपने में आ जाते हो मिलने फिर बताओ हम दूर कहां हुए..🤗
एक बात बोलूं ये जब से हमारी बातचीत बंद हुई है, तुम्हारी बातें कुछ ज्यादा ही होने लगीं हैं ख़ुद के साथ।
तुम्हें याद करके यूं ही मुस्कुराने लगती हूं, कभी कभी तो ऐसा भी होता है कि तुम हो,हम हैं और ये ब्रम्हांड, हम बस सुकून से खोज रहें हैं एक दूसरे को स्वयं में।

तुम सुकून हो मेरा....🤗

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© ~आकांक्षा मगन "सरस्वती"