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मेरे सामने वाली खिड़की
मेरे रूम के सामने सड़क के दूसरी ओर दीवार में लगी खिड़की एक सर्कस के अंदर खुलती थी जहाँ से उनके हाथी साफ़ दिखाई देते थे. वहाँ हाथियों को पिंजरों में नहीं रखा जाता था या जंजीरों में जकड कर नहीं रखा जाता था.

लेकिन कुछ उन्हें शिविर से भागने से रोक रहा था, वह उनके एक पैर से बँधी रस्सी का एक छोटा सा टुकड़ा था.

मैं उन हाथियों को देखकर अक्सर यही उलझन में रहता था कि हाथियों ने अपनी ताकत का इस्तेमाल सिर्फ रस्सी तोड़ने और शिविर से बचने के लिए क्यों नहीं किया. वे आसानी से ऐसा कर सकते थे, लेकिन इसके बजाय उन्होंने बिल्कुल भी प्रयास नहीं किया.

मैं एक जिज्ञासु की तरह इस बात का उत्तर जानना चाहता था,इसीलिए मैं उन हाथियों के प्रशिक्षक के पास गया और उससे पूछा कि हाथी वहीं क्यों खड़े थे और कभी भागने की कोशिश नहीं कई.

प्रशिक्षक ने उत्तर दिया,
"जब वे बहुत छोटे होते हैं तो हम उन्हें बांधने के लिए एक ही आकार की रस्सी का उपयोग करते हैं और उस उम्र में उन्हें पकड़ना काफी होता है. जैसे-जैसे वे बड़े होते हैं, उन्हें यह विश्वास करने के लिए अनुकूलित किया जाता है कि वे अलग नहीं हो सकते. उनका मानना ​​​​है कि रस्सी अभी भी उन्हें पकड़ सकती है, इसलिए वे कभी भी मुक्त होने की कोशिश नहीं करते.

हाथी इस रस्सी को तोड़कर मुक्त नहीं हो पा रहे थे क्यूँकी समय के साथ उन्होंने इस विश्वास को अपना लिया कि रस्सी तोड़ना संभव नहीं है.

बात बस इतनी सी बतानी है कि हमेशा इस विश्वास के साथ आगे बढ़ें कि आप जो हासिल करना चाहते हैं वह संभव है. कोई फर्क नहीं पड़ता कि दुनिया आपको कितना पीछे धकेलने की कोशिश करती है,या आपके रास्ते में कितनी रुकावटें हैं.
अपनी जीत का विश्वास करके ही आप सफल हो सकते हैं. एक दृढ विश्वास आपके लक्ष्यों को प्राप्त करने में सबसे पहला और बेहद महत्वपूर्ण कदम है.

विश्वास की स्थिति में शरीर तंत्र व स्नायु तंत्र ‘लक्ष्य को प्राप्त कर लिया गया है’, मानकर अपने को उसी तरह ढ़ाल कर हवाई जहाज के ऑटोमेटिक पायलट की तरह लक्ष्य पर जाता है. 

मस्तिष्क वही करता है जो कहा जाता है. जो डालेंगे वही परिणाम निकलेगा.डॉक्टर रोबर्ट पियरशेल ने उदाहरणों से सिद्ध किया है कि बीमारियाँ मन में समाये गंदे विचारों का बाहरी स्वरुप है.सफाई आध्यात्मिक सकारात्मक विचारों से हो सकती है.  

आप जो विश्वास करते हैं वही सच्चाई बन चुकी है, बन रही है व बनेगी. मेडिकल अनुसंधान यह निष्कर्ष निकालते हैं कि सकारात्मक, वैज्ञानिक, रचनात्मक, तथ्यों व आंकड़ों पर आधारित विश्वास से मस्तिष्क उत्तम कार्य करता है.

खेल व मेडिकल विशेषज्ञों के अनुसार 4 मिनट से कम समय में एक मील दौड़ना असंभव था. 1954 में रोजर बैनिस्टर ने यह असंभव कर दिखाया. उसने सोचा था मैं यह कर दिखाऊँगा. उस साल 37 व अगले साल 300 लोगों ने यह कर दिखाया.

मनुष्य का मस्तिष्क हजारों सुपर कंप्यूटर से बेहतर है.
विपरीत परिस्थितियों में लोग असाधारण शक्ति, साहस एवं आंतरिक बल का प्रदर्शन करते हैं. यदि उनको अपनी इस ऊँचाई पर पहले से ही विश्वास हो तो उनकी जीवन धारा बदल जाए.  

इंसान अपने विचारों से ही बनता है और बिगड़ता है। यह 101% सही बात है. आप अपने सकारात्मक विचारों से अपनी जिंदगी की ऊँचाइयों को छू सकते हैं.

अगर आप अपने दिन की शुरुआत इन जिंदगी बदलने वाले विचारों  से करते हैं और तीस दिन तक इन पॉजिटिव विचारो  को हर रोज दोहराते हैं, तो यकीनन आपकी जिंदगी में आप चमत्कारिक रूप से बदलाव महसूस करेंगे. यह पॉजिटिव एफर्मेशन आपको अवसाद(डिप्रेशन) से बाहर निकाल देंगे.


1. मै हर क्षेत्र में कामयाब हो रहा हूँ “
मैं हर क्षेत्र में कामयाब हो रहा/रही हूँ ” ऐसा रोज सुबह सोचने से आप वाकई में सकारात्मक और मजबूत महसूस करेंगे. इस सकारात्मक सोच से आप आपने काम में बेहतर फोकस हो पाएंगे. आपको काम करने के बेहतर रास्ते दिखेंगे. काम करते समय भी इस एहसास के साथ काम करे कि आप कामयाब हो रहे हैं. यह पॉजिटिव एफर्मेशन आपके मुश्किल काम को भी आसान बना देगा.

2. आज मैं बहुत खुश और संतुष्ट हूँ
रोज सुबह यह पॉजिटिव एफर्मेशन दोहराएं कि “मैं बहुत खुश और संतुष्ट हूँ. ” यह दोहराते हुए महसूस करे कि आप वाकई में अपनी जिंदगी से बहुत खुश हैं, इससे बहुत संतुष्ट हैं. यह अहसास आपके अवचेतन मन को यह सिग्नल देगा कि आप अपनी जिंदगी से खुश हैं और इससे संतुष्ट हैं और यह आपके जिंदगी के बेहतरीन रास्ते खोल देगा.आपको खुश होने के हजारों कारण दिखाएगा.आपको जिंदगी से कोई शिकायत नहीं रहेगी.

3. मेरा शरीर स्वस्थ और दिमाग तेजतर्रार हैं“
मेरा शरीर स्वस्थ और दिमाग तेजतर्रार हैं. ” इस पॉजिटिव एफर्मेशन को दोहराने से आप अपने अवचेतन मन को यह सिग्नल पहुंचाते हैं कि आप एक स्वस्थ शरीर वाले और तेज़ दिमाग वाले हैं. इस अहसास से शरीर ऑटोमेटिक हर बीमारी की एंटीबायोटिक बना लेता है। इस तकनीक से गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीज भी तेजी से बिना दवाई के स्वस्थ हो जाते हैं.

4.मैं जो चाहूँ वह मैं कर सकता हूँ
आप जो चाहे वह कर सकते हैं. हमने खुद को को ही लिमिट्स में बाँध दिया है कि यह मेरे बस का नहीं है, यह मैं नहीं कर सकता. ऐसे विचार और डर के कारण ही आप अपने आप को कमजोर मान लेते हैं. इंसानी दिमाग आजाद है. वह जो चाहे वो कर सकता है. अपनी ताकतों को पहचाने.

5. जो भी हो रहा है मेरे अच्छे के लिए हो रहा है
सुख और दुख तो जिंदगी के दो पहलू हैं. इनका आना-जाना तो लगा रहता है. लेकिन दुख है तो शिकायत करने के बजाय, यह सोचे कि जो भी हो रहा है मेरे अच्छे के लिए हो रहा है. यह महसूस करें. अपने विवेक से काम ले. आपको उसमें कुछ न कुछ अच्छा जरुर दिखेगा. वो कहते हैं कि “नजर को बदलो, नजारे बदल जाएंगे।” यह बात शत प्रतिशत सही है। बस आपको अपने नजरिए और सोचने के तरीके में बदलाव की जरूरत है.

6.मेरे पास खूब सारी धन-दौलत है
अगर आप भी बार-बार सोचते हैं कि मेरे पास पैसे नहीं है, मैं कर्ज में डूबा हुआ हूँ, तो सबसे पहले यह सोचना छोड़ दें. क्योंकि यह नकारात्मक विचार आपको और गरीब बना देंगे. आपको हमेशा पॉजिटिव रहना है. यह पॉजिटिव एफर्मेशन हमेशा दोहरायें कि मेरे पास खूब धन दोलत है. यह महसूस करें कि आपके सारे कर्जे उतर गए हैं. रुपए पैसे की कोई कमी नहीं है.
अब आप सोच रहे होंगे कि केवल ऐसा सोचने से क्या होगा? लेकिन सारी दुनिया अपने दिमाग के विचारों से ही बनी है. अगर आप सकारात्मक सोचेंगे, तो आपके पास वैसा करने के बहुत सारे दरवाजे खुल जायेंगे. इन अवसरों का लाभ उठाकर कड़ी मेहनत करके, आप अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर बना सकते हैं.

आखिर में खालिद मलिक साहिल की ये खूबसूरत ग़ज़ल आप सब के लिए -
जो शख़्स आब-ओ-हवा पर यक़ीन रखता है
वो मौसमों की अता पर यक़ीन रखता है

चराग़ उस का कभी भी जला नहीं लेकिन
वो आज तक भी दुआ पर यक़ीन रखता है

कोई ग़रज़ नहीं उस को किसी सख़ावत से
फ़क़ीर अपनी सदा पर यक़ीन रखता है

हज़ार उस को सहारे मिलें मगर 'साहिल'
ना-बीना अपने असा पर यक़ीन रखता है
NOOR E ISHAL
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