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अंतिम कॉल...
वो कॉलेज का पहला दिन था। अनुज बाल बनाकर, एक दम नए कपड़े पहनकर बिल्कुल टिप-टॉप हीरो बनकर कॉलेज में गया। उसने अपने दोस्तों से काफी कुछ सुन रखा था कि कॉलेज में लड़कियाँ सिर्फ उन्हीं लड़कों से बात करती हैं जो हीरो जैसे दिखते हैं और एक बार बात हो जाए तो धीरे-धीरे दोस्ती और फिर प्यार भी हो जाता है। तो अनुज भी यही सपने लेकर कॉलेज गया कि उसकी भी दोस्ती एक सुंदर सी लड़की से हो जाएगी।
            खैर पहले दिन तो कुछ नहीं होता और वह किसी लड़की से बात करना तो दूर किसी से नजर भी नहीं मिला पाता है। उसके दोस्त इस मामले में काफी तेज थे और पहले ही दिन उन्होंने लड़कियों से दोस्ती भी कर ली थी। लेकिन अब अनुज की भी किस्मत बदलने वाली थी और कुछ दिन बाद कॉलेज में एक लड़की आती है भारती। अनुज को पता नहीं उस लड़की में क्या खास नजर आया कि वो उसकी तरफ खींचता चला गया। वो कभी कैंटीन में, कभी लाइब्रेरी में तो कभी क्लास रूम में बस उसका ही पीछा करता रहा और उसे छुप-छुपकर देखता रहता।
            भारती को अब अहसास होने लगा था कि अनुज उसे फॉलो करता है और छुप छुपकर उसे ही देखता रहता है तो एक दिन जब अनुज उसको देख रहा था तो भारतीय एक दम से गायब हो गई और ठीक उसके पीछे आ कर खड़ी हो गई। अनुज जैसे ही पलटा तो भारती उसके पीछे खड़ी थी, अब अनुज हड़बड़ा-सा गया और वहाँ से जाने लगा तो भारती ने उसे आवाज दी और कहा, - 'क्या तुम मुझे फॉलो कर रहे हो? मै कई दिनों से नोटिस कर रही हूँ कि मैं जहाँ जाती हूँ, वहीं आस-पास तुम भी मौजूद होते हो।' अनुज घबरा गया और ना-नुकुर करने लगा। उसका दिल बहुत जोर से धड़क रहा था मगर उसने हिम्मत करके कह ही दिया, - 'हाँ, मैं तुम्हें छुप छुप कर देखता रहता हूँ, क्योंकि तुम मुझे बहुत अच्छी लगने लगी हो, पता नहीं क्यों पर तुम्हें देखते ही मेरी धड़कनें अचानक बढ़ जाती हैं, क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगी?' तो भारती उसे मना नहीं कर पाई मगर सिर्फ दोस्ती करने को राजी हो गई।
           समय गुजरता जाता है और दोनों साथ-साथ ही बीए फर्स्ट ईयर से अब फाइनल ईयर में पहुँच गए। ये उनका लास्ट साल था कॉलेज में। अनुज भारती को अब दीवानों की तरह चाहने लगा था मगर भारती ने अबतक कोई जवाब ही नहीं दिया था। लेकिन उन दोनों के बारे में सबको पता था पर भारती अपने इस रिश्ते को सिर्फ दोस्ती का नाम देती थी। और फिर वो वक़्त भी आ ही जाता है जब उन दोनों को बिछड़ना पड़ता है क्योंकि अब उनका कॉलेज खत्म होने वाला था। दोनों एक-दूसरे को विदाई देने आते हैं तो अनुज उससे कहता है कि वो अब उससे बात कैसे करेगा, उसके बिना कैसे रहेगा तो भारती उसे अपना नंबर देती है और कहती है कि जब भी उसे उसकी याद आए तो वह उसे कॉल कर लेगा। ये एक लैंडलाइन नंबर था क्योंकि मोबाइल तो तब आए नहीं थे।
          अब अनुज दिन में कई बार उसे कॉल करता जिससे भारती परेशान हो गई क्योंकि घर में कोई भी कॉल उठा सकता था तो वह उससे कहती है कि वो उसे कॉल नहीं करेगा। अब सिर्फ वो खुद उसे कॉल किया करेगी।तो अनुज दिन भर उसके कॉल का इंतजार करता कि कब वो उसे कॉल करे और वो दोनों घंटों बातें कर सकें। लेकिन शायद भारती ने अनुज की फीलिंग्स को कभी समझा ही नहीं था और वो उसे सिर्फ अपना एक अच्छा दोस्त ही मानती रही। धीरे-धीरे अब उसकी कॉल आनी बहुत कम हो गई थी। कभी-कभी तो हफ्ते गुजर जाते थे और एक दिन उसे भारती की कॉल आती है और वो कहती है कि उसकी शादी तय हो गई है। लड़का बहुत बड़े परिवार से है, खुद का बिजनेस है। सब घरवाले इस रिश्ते से बहुत खुश थे तो मैंने भी हाँ कर दी। अनुज के पैरों तले से जमीन खिसक गई। वो बिल्कुल शांत हो गया। उसकी आँखों में आँसू आ गए मगर भारती बोलती रही कि शादी अगले महीने है और उसे शादी में जरूर आना है। अनुज बस चुपचाप सुनता रहा और भारती ने कॉल कट कर दिया। अनुज की सारी दुनिया ही तहस-नहस हो गई। उसे लगा था कि भारती उसे समझती थी, उसके प्यार को समझती थी मगर वो बस उसकी फीलिंग्स के साथ खेल रही थी। उस दिन के बाद भारती की दोबारा कॉल नहीं आई और ना ही अनुज ने ही उसे कॉल की।
          भारती की शादी का दिन आ जाता है मगर अनुज उसकी शादी में नहीं जाता है। भारती शादी करके अपने ससुराल चली जाती है। कुछ दिनों बाद भारती पग फेरे के लिए अपने घर वापस आती है और फिर उसे अनुज की याद आती है। वो अनुज से बहुत गुस्सा थी क्योंकि ना तो वो उसकी शादी में आया और ना ही उसने उसे एक बार कॉल ही किया तो वो उससे इस बात की शिकायत करने के लिए उसे कॉल लगाती है मगर रिंग बजती रहती है पर अनुज कॉल नहीं उठाता। भारती दोबारा कॉल लगाती है, फिर रिंग बजती है और बजती रहती है, गुजरने वाले हर पल के साथ भारती का अनुज से वो आखिरी नाता भी कटता जा रहा है मगर अनुज कॉल नहीं उठाता। रिंग और तेज होती जा रही थी जैसे अनुज को कोई चेतावनी दे रही हो कि ये अंतिम कॉल है जब वो भारती की आवाज सुन सकता है, उससे बात कर सकता है, जैसे ये रिंग की आवाज चीख चीखकर उससे कह रही हो कि भारती बहुत दूर जा रही है, आज के बाद कभी तुम उसकी आवाज नहीं सुन पाओगे, कॉल उठा लो अनुज। मगर अनुज जैसे पत्थर का बना चुका था और वो उस रिंग की करूण पुकार सुन ही नहीं पाता है। वो रिंग आखिरकार शांत हो जाती है और एक घनघोर सन्नाटा छा जाता है और इसी के साथ अनुज की प्रेम कहानी खत्म हो जाती है उसी अंतिम कॉल के साथ..........................................।

© @nirmohi_neer