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पवित्र जल
एक बार की बात है सोनारपुर गाव मे एक झरना था, वहाँ के सभी गाव वाले उस झरने को सोने का झरना कह्ते थे ये कहानी शुरू होती है वहाँ से जब इस गाव का झरना सोने का झरना कैसे बना...........?

बहुत समय पहले सोनारपुर गांव मे एक सुनार रेहता था उसके तीन बेटे थे, और सुनार एक बहोत ही अच्छा इंसान था वो गाव वालो की बहुत मदद भी करता था,, कुछ दिन वो बहुत बीमार रहने लगा और कुछ दिनों मे उसकी मृत्यु हो गयी,, जैसा कि आपको कुछ देर पहले पता चला कि उसके तीन बेटे थे,, उसके पहले वाले बेटे का नाम था रामेश्वर और दूसरे बेटे का नाम था सूक्ष्म,, और उसके तीसरे और छोटे बेटे का नाम था,, शिव,,, उसके दो बड़े बेटे बहुत आलसी थे और वो अपने पिता की मेहनत का पैसा यूँही बेकार कर रहे थे... कुछ दिनों बाद जब उनके पास पैसा खत्म हो गया,, तो उन्होंने अपने पड़ोसियों से भी मदद मांगी पर उनकी मदद करना किसीको अछा नहीं लगा क्युकि वो हर किसीको परेशान करते और उनको बेवकूफ़ बनाकर उनसे पैसे लेते... फ़िर एक दिन जब,, रामेश्वर और सूक्ष्म बाहर जा रहे थे तो उन्होंने अपने भाई शिव से कहा,,, तुम यहि रहना हम थोड़ी देर मे कोई काम का इन्तेजाम करके आते है,, यह कहकर वे दोनों चले गए... शिव था एक नादान और सीधा,, दयालू,, तो वो अपने भाइयों की बात मानकर खिड़की के किनारे बैठ गया... और सामने जब उसने देखा तो उसको एक झरना दिखाई दिया जो कि उसके घर के सामने था परंतु बहुत दूर था..उसको देखकर शिव ने कहा... . उस झरने के उपर सूरज की किरणें इसे पढ़ रहीं है मानो वो सोने का झरना हो.. काश ये झरना सोने का झरना होता.... उसके ये बोलने के बाद.. उसके पास एक आवाज आती है.... यह हो सकता है!!!!
शिव आपने आस पास देखकर बोलने लगा कि कोन हो तुम!! तो फिर आवाज आई मैं इस झरने का राजा हू.. क्या तुम इस झरने को सोने का बनाना चाहते हो तो,, तुम्हें इस झरने मे पवित्र जल की तीन बूंदे डालनी होंगी,, राजा की बात सुनकर शिव झरने मे पवित्र जल की तीन बूंदे डालने के लिए तैयार हो जाता है,, फिर कुछ देर मे उसके दोनों भाई घर आते हैं तो शिव उनको पूरी बात बताता है यह सुनकर उसके भाई फैसला करते हैं कि !!!! अगर ये सब सच है तो हम इसमे पवित्र तीन बूंद जरूर डालेंगे... शिव का बड़ा भाई रामेश्वर बोलता है मैं कल सुबह झरने मे पवित्र जल डालने चाला जाऊँगा.... सुबह होते ही रामेश्वर सोचता है कि उसने सबके साथ बुरा प्रभाव रखा है कि कोई इसको जल नहीं देगा... तो वो मंदिर से एक पवित्र जल की बोतल चुरा लाकर झरने की ओर निकल पड़ता है... रास्ते मे उसको एक भिकारी दिखता है जो उससे बोलता है... पानी! पानी!... उसको देखकर साफ़ पता चलता है कि वो प्यासा ही पर रामेश्वर उसको पानी ना पिलाकर आगे चलता है... रास्ते मे रामेश्वर को प्यास लगती है तो वो सोचता है कि.. अभी तो पूरी बोतल हैं थोड़ा पी लूँगा तो क्या चाला जाएगा.. और जैसे ही वो जल की बोटल मुह से लगाता है एक आवाज आती है... पानी!! पानी!!.. फिर वो पीछे मुड़कर देखता है तो एक प्यासा बच्चा दिखता है जो पानी मांग रहा होता हैं... लकिन रामेश्वर बोलता है... की अगर मैं सारा जल तुम गरीबों पर लुटा दु तो झरना सोने का कैसे बनेगा वो पानी पीता है और आगे चलता हैं... आगे उसको एक कुत्ता दिखता है उसे देखकर साफ़ पता चलता है कि कुत्ता प्यास है,, लकिन वो कहा किसीको पानी देने वाला है वो आगे चलता हैं. और जैसे ही झरना आता हैं वो उसमे तुरंत जल डालता है जल डालते है रामेश्वर पत्थर का बन जाता है........ बहुत देर हो जाती हैं उसके दोनों भाई उसकी राह देखते थक जाते है फिर सूक्ष्म वहा झरने मे जल डालने का मन बनाकर झरने की ओर निकल पड़ता है.. वो भी एक मन्दिर से जल की बोतल चुरा लाकर झरने की ओर चलता है... जो रामेश्वर के साथ हुआ वहीं सब सुक्ष्म के साथ भी होता है पर वो भी किसीको पानी दिए बिना झरने मे पानी डालता है और वो भी पत्थर का बन जाता है.. उसकी राह देखते शिव भी निकलता है झरने की ओर उसकी सबसे अच्छी बातचीत है तो उसको आसानी से जल मिल जाता है.. वो जल लेकर झरने की ओर जाता है रास्ते मे उसको एक बच्चा दिखता है जो पानी मांगता है शिव उसको पानी पीला देता है... थोड़ी दूर चलने के बाद उसको प्यास लगती है तो वो पानी पीने की सोचकर बोतल मुह से लगाता है तो फिर एक आवाज आती है.. पानी!! तो वो देखता है तो एक गरीब पानी की चाह मे उसको देख रहा होता है...शिव बिना कुछ सोचे उसके मुह मे पानी की बोतल उड़ेल देता है थोड़ा पानी बचता हैं जिसको वो झरने तक ले जाता है उसको एक कुत्ता दिखता है झरने के आगे जो प्यासा लगता है तो शिव उसको भी पानी पीला देता है... और देखते ही देखते वो कुत्ता एक इंसान मे बदल जाता है शिव उनकी आवाज से जान लेता है कि वो झरने का राजा है और राजा बोलता है.. तुम बहुत अछे और दयालू इंसान हो और एक तरफ तुम्हारे भाई राजा शिव को सब बताता हैं कि उसके भाई पत्थर बन चुके हैं फिर राजा बोलता है... बोलो क्या चाहिए तुम्हें तो शिव बोलता है मुझे सोने का झरना नहीं चाहिए आप मुझे मेरे भाई लौटा दीजिए विनती हैं मेरी आपसे... उसकी बात सुनकर राजा उसके भाइयों को वापस इंसान बना देता है और झरना भी सोने का बन जाता है... शिव के भाइयों को अपनी भूल सुधारने का मौका मिलता है वो सभी से अच्छी तरह ही बात करते है और किसीको परेशान भी नहीं करते.... इससे हमे दो सीख मिलती है......
Moral::-1) किसीसे बुरा वैवहार ना रखे...
Moral::-2)किसमें फर्क़ नहीं करना चाहिए,, प्यासे को पानी और भूखे को रोटी जरूर देनी चाहिए...
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