संक्रांति काल - पाषाण युग ४
आसमान से रिमझिम बौछारें पड़ने लगी जो ये संदेश दे रही थी की देवता प्रसन्न हैं । उल्लसित जोड़ा गुफा की और एकांतवास को जा रहा था जिन्हे दो निगाहें बडे चाव से निहार रही थीं । जोडे की उन्नति की प्रार्थना करने धारा देवता की पहाड़ी पर चढ रही थी ,स्वयं को अंबी के जीवन की प्रसन्नताओं के बदले देवता को समर्पित करने के लिए......!
पिछले अंक से आगे --
नए मानवीय संवेगों से परिचय
जादौंग और अम्बी दोनों का एक दूसरे के प्रति आकर्षण अन्य नर व मादा की तरह मात्र देहिक सुख तक सीमित नहीं था।देह का मिलन तो इस प्रेम का प्रारम्भ ही था।दोनों युगल एक साथ ही शिकार पर जाने लगे थे।अम्बी को जादौंग देव पुरुष लगने लगा था,उसने कभी अपने भाईयों में और अपने पिता के स्वभाव में इस तरह के कोमल भावों का दर्शन नहीं किया था।
उसने तो अपनी जननी धारा को हमेशा पुरुषों द्वारा नोंचे जाते ही देखा था.....वो तो यही जानती थी कि पुरुष एक ऐसा पशु है,जो अपनी प्रसन्नता और अपने स्वार्थ के लिए
ही सबकुछ करता है।पुरुष एक स्वकेन्द्रित प्राणी है, जिसका हर कार्य व्यवहार स्वयं के भोग मात्र निमित्त है।
कई बार अम्बी अपने अन्तर्मन के साथ संवाद करती- "जादौंग .... नहीं वो बिलकुल भी ऐसा नहीं है,वो तो हर काम में हाथ बँटाता है।उसने हमेशा मेरी इच्छा अनिच्छा को समझा और माना है...जादौंग अन्य पुरुषों से अलग है, बिल्कुल अलग।जादौंग का आगमन उसके जीवन में कितने सुखद परिवर्तन लाया है।वो मात्र दो प्राणी हैं गुफा में,फिर भी,लगता है मानो सारा संसार बसा लिया हो।क्या, कभी कोई पुरुष बडा शिकार लाने के बावजूद, अपनी मादा की इच्छा का सम्मान कर सकता है?कितनी ही बार ऐसा हुआ है कि,वो खुद थकी होने के कारण जादौंग को संसर्ग सुख ना दे पाई पर,वो देव पुरुष उग्र नहीं हुआ और मुस्कुरा कर माँस पकाने और गुफा के सार संभाल में मदद कराने लग गया।अन्य पुरुषों की भांति उसकी भूख़ देह तक सीमित नहीं है...वो प्रेम समझता है...निश्चित ही वो देवपुरुष है,जिसे देवता ने भेजा है ....मेरे लिये...इस गुफा के लिए,और....हमारा परिवार बढ़ाने के लिए..." , अंतिम विचार पर अम्बी खुद ही लजा जाती,उसका चेहरा लाल हो जाता।
कभी कभी तो,अम्बी को जादौंग में अपनी जननी धारा की छवि भी दिखाई देती थी,जब वो अम्बी के सिर को अपनी गोद में रख सहलाया करता था।
कई बार जादौंग में अम्बी एक शिशु की छवि भी देखती जब वो जिज्ञासु भाव से अम्बी की देह पर अपनी उंगली को फिराता,मानो उसे पूरी तरह पढ़ लेना चाहता हो।एक मीठी गुदगुदी का अहसास करके अम्बी खिलखिलाकर हँस पड़ती,और जादोंग एक बच्चे की तरह झेंपकर रूठ जाता कितना निश्छल,कितना मासूम,अम्बी चाहती कि, ऐसे ही उसे देखती रहे।
जादोंग और अम्बी के रिश्ते की प्रगाढ़ता का कारण शायद यह भी था कि वे दोनों ही विचारशील थे।प्रकृति को निहारना,उसके रहस्यों पर देर तक विचारना दोनों को अत्यंत प्रिय था।
परिवार में एक नया सदस्य
आज भी दोनों रात्रि में संसर्ग के पश्चात संतुष्ट भाव से आसमान में चमकते तारों को आपस में बाँट रहे थे,तभी कोई तारा टूटता हुआ दिखता है,अम्बी डर से जादौंग के विशाल वक्ष में अपना मुँह छिपा लेती।इस क्रीड़ा में जादौंग को बहुत आनन्द की अनुभूति होती,वो अपना हाथ बढ़ाकर मुट्ठी में,उस तारे को पकड़ने का उपक्रम करता और बंद मुट्ठी को अम्बी के चेहरे के पास ले आता था।अम्बी को सच में लगता कि,उस टूटते तारे को जादौंग ने मुट्ठी में बंद कर लिया है ...वो चकित भाव से जादौंग की मुट्ठी को छूती और इस जीत पर बहुत खुश होकर खिलखिलाकर ताली बजाती।जादौंग मन्त्र मुग्ध हो उसे निहारता रहता।पूर्ण चंद्र की चांदनी ने स्वर्गिक बना दिया था,अम्बी की गुफा के वातावरण को।
अचानक एक दर्द भरी गुर्राहट ने उन दोनों के ध्यान को भंग कर दिया।जादौंग ने लपककर अपना अस्त्र हाथ में उठा लिया और आवाज की दिशा में कदम बढ़ा दिए, अम्बी भी उसके पीछे ही चल रही थी .........!
झाडियों में हलचल का आभास हुआ तो,दोनों ही सधे कदमों से झाड़ियों तक पहुँचे ......वो एक भारी शरीर वाला कुत्ता था,जिसका एक पैर बुरी तरह जख्मी हो गया था और जख्म से खून रिस रहा था।जादौंग जिस गुफा बस्ती से आया था,वहाँ कुत्तों का प्रयोग शिकार व गुफा की रखवाली के लिए करना आम बात थी पर अम्बी ने अपने जीवन में इस जीव को पहली ही बार देखा था उसकी गुफा के आसपास तो क्या,दूर तक भी कोई दूसरी गुफा बस्ती नहीं थी।
अम्बी काफी देर तक अचरज और खौफ़ के मिलेजुले भाव लिए थोड़ी दूरी रख,उसे देखती रही।जादौंग अम्बी के भावों को समझकर मुस्कुरा रहा था।अम्बी ने कुत्ते की आँखों में पीड़ा के चिन्हों को महसूस किया,उसने जादौंग की तरफ देखा...आश्वासन का भाव नजर आया।दोनों ने कुत्ते को उठाया और उसे गुफाद्वार पर ले आये। कुत्ते ने कोई प्रतिरोध नहीं किया,बस दर्द से कराहता हुआ कूँ-कूँ करता रहा।
आमतौर पर जो गुफामानव अधिक संख्या में बस्ती बसाकर रहते थे वही कुत्तों का उपयोग उसे पालतु बनाकर अपने कार्यों , जैसे गुफाबस्ती की रखवाली और शिकार आदि में करने लग गए थे,जिससे उनकी जीवनचर्या में काफी सुगमता आ गई थी।पशुपालन की प्रारंभिक अवस्था थी,अतः सभी कबीलों में यह ज्ञान अभी नहीं पहुंचा था। बस कुछ ही समूह कुत्तों का प्रयोग करना जानते थे। प्रभुत्व के संघर्ष में भी कुत्तों का विशेष महत्व रहता था।जिस गुफामानव के पास पालतू कुत्तों का बेड़ा ज्यादा ताकतवर होता अकसर वही विजित रहता था।
जादौंग का अंतर्मन सशंकित हो रहा था , क्योंकि वह जानता था की कुत्ते की उपस्थिति का अर्थ है कि, या तो नजदीक ही कोई गुफा बस्ती है , जिसका यह कुत्ता है ! घायल होने पर इसे भी निष्कासित कर दिया है , स्वार्थी गुफामानवों ने या फिर कुछ गुफामानवों का दल नए वन व आवास की तलाश में निकला है .....।
"वह सोच रहा था की यदि किसी गुफामानवों के समूह ने कुत्तों की टुकड़ी के साथ आकर उसकी गुफा पर अधिकार जताया...तो क्या वह दोनों मुकाबला कर सकेंगे ! कहीं वह गुफा के साथ साथ अम्बी को भी...."इस खयाल से जादौंग के शरीर का बाल बाल खड़ा हो गया था, अम्बी ने उसके चेहरे के डर को तो पढ़ लिया पर उसका कारण नहीं समझ पाई थी।
अम्बी ,जादोंग के चेहरे के बदलते भावों को गौर से देखकर अनुमान लगाने का प्रयास कर रही थी ,कि कुत्ता फिर से दर्द की अधिकता से गुर्राने लगा । दोनों का ध्यान एक साथ ही उसके जख्म पर गया ....चूँकि पूरे चाँद की
रात थी वे स्पष्ट देख पा रहे थे ,पीछे वाले पैर पर काफी बड़ा घाव था ...।
जादोंग किंकर्तव्यविमूढ़ अपने स्थान पर खड़ा बस उसे देखने के अलावा कुछ और उपाय नहीं सोच पा रहा था । पर अम्बी गुफा के भीतर से कुछ पत्तियाँ लेकर आई और उन्हें चबा चबा कर बारीक करके जख्म पर लगा दिया ।
कुत्ते ने धीमी गुर्राहट निकाली पर शांत पड़ा रहा। जादौंग मन्त्र मुग्ध सा अम्बी को देख रहा था और अम्बी बडे ही ध्यान से जख्म का उपचार करने में मग्न थी ।
जख्मी पैर जो कि टूट भी चुका था को अम्बी ने खींच कर सीधा किया ,कुत्ते का रोना महसूस हुआ जादोंग को । शिकारी जादोंग उसके रुदन से भावुक हो उठा और धीरे से कुत्ते के सर पर हाथ फेरने लगा ।
जादोंग ने अपने विकसित कबीले में भी उपचार की यह पद्धति नहीं देखी थी,वहाँ तो जख्म को देवता के सुपुर्द कर दिया जाता था और यह मान लिया जाता था की अगर , जख्म सही नहीं हो पाया तो वह देवता की इच्छा है । देवता की इच्छा का सम्मान सभी को करना पड़ता था ,इसीलिए जख्मी को घाटी के देवता को समर्पित कर देते थे ।
पर अम्बी ने तो चमत्कार ही कर दिया , कुछ ही समय में कुत्ता चलने लायक हो गया अब जब अम्बी फलों और जडों को इकट्ठा करने और जादौंग शिकार पर जाते तो वह गुफा द्वार पर अनधिकृत प्रवेश को रोकने के लिए रखवाली किया करता था।
कुत्ता अब जादोंग परिवार का ही हिस्सा था , अम्बी और जादौंग उसे बहुत स्नेह करते थे । दोनों उसे भाँऊ बोलकर बुलाने लगे ,और भाँऊ भी एक ही आवाज पर दौड़कर आता और अपना स्नेह पैरो पर जीभ फिराकर व्यक्त करता था ।
---------------------------------
नए सदस्यों के आगमन के चिन्ह
अम्बी में भावनात्मक व शारीरिक परिवर्तन होते देख जादोंग विस्मित था , मगर अम्बी को शायद इसका कारण समझ आ चुका था । ऐसे ही परिवर्तन अपनी जननी मेंं दृष्टिगत हुए थे अम्बी को ...उसे हर बात बारीकी से समझाई थी धारा ने । इसीलिए उसे अपने गर्भ मेंं पलते जीव का पूरी तरह भान था । वो खुश थी और जादोंग के साथ इस खुशी को बाँटना भी एक अभूतपूर्व खुशी का अहसास था उसके लिए । जादोंग की जिज्ञासा को बडी सहजता से अम्बी ने सुलझा दिया ।
....गुफा के द्वार पर ही विशालकाय वृक्ष की टहनी पर एक पंछी युगल के परिवार में नन्हे चूजे का आगमन हुआ,इस जोड़े को कल्लोल करते अकसर जादोंग व अम्बी मग्न होकर देखा करते थे । चूजे को दिखाकर अम्बी ने अपने पेट की ओर इशारा किया तथा मुसकुरा कर पलकें झुका लीं । कुछ ही देर मेंं जादोंग समझ गया कि उसके और अम्बी के प्रेम को पूर्णता मिलने वाली है ,उनकी गुफा का
विस्तार होने जा रहा है ।
घंटों तक उल्लसित जादोंग बच्चों की तरह अठखेलियाँ करता रहा ,पेड़ों की टहनियों पर झूलता ,हिरणों के साथ कुँलाचें भरता ,मानो सभी के साथ अपनी खुशी साझा करने का पागलपन सवार हो गया हो उसपर । अम्बी उसकी इन हरकतों को देख घंटों तक खिलखिलाती रही ।
------------------------------
नाराजगी और पश्चाताप
अम्बी के गर्भ का समय शायद पूर्ण हो आया था ,पीड़ा की वजह से व्यवहार में भी चिड़चिड़ापन बढ़ रहा था । अभी जरा भी भारी कार्य नहीं कर पा रही थी अम्बी । ऐसा नहीं कि जादौंग उसका खयाल नहीं रख रहा था , उसके कार्य व्यवहार मेंं एक जिम्मेदार पति की झलक दिख रही थी ,शिकार करने के बाद माँस पकाना ,और शक्तिवर्धक पेय
बनाना भी सीख लिया था उसने । कभी कभी ,शायद कार्य की अधिकता से अम्बी पर खीज भी उठता ,मगर कुछ ही देर में खुद से ही शांत भी हो जाता ।
मगर आज दोनों ही अधिक आक्रोशित हो गए । जादौंग का बनाया जड़ी बूटियों का शक्ति वर्धक पेय को भी अम्बी ने रूठकर फैंक दिया और जादौंग गुस्से में पैर पटकता ,जंगल की ओर चला गया ।
दरअसल जादौंग को अम्बी से पुरुष संतान की अपेक्षा हैऔर अम्बी मादा संतान चाहती है । जादौंग सोचता है कि गुफा और परिवार की सुरक्षा पुरुषों द्वारा ही हो सकती है,जबकि अम्बी सोचती है कि मादा सुरक्षा करने में भी सक्षम है तो पोषण भी वही करती है ।
जादौंग के जाने के बाद काफी देर तक अम्बी रोती रही ।भाँऊ उसके पैरों को चाटता हुआ उससे अपनी हमदर्दी व्यक्त करता रहा , फिर गुफा के भीतर से कुछ फल उठाकर अम्बी के लिए ले आया ,और पूँछ हिलाकर अम्बी से
अनुनय करता रहा कि वह कुछ खा ले । आँसुओं के बहने से जब दिल हलका हो गया तो शांत होकर अम्बी ने कुछ फल खा लिए और भाँऊ को भी थोड़ा माँस खाने को दिया उसे लग रहा था कि जादौंग भी थोड़ी ही देर मेंं लौट आएगा पछताकर ।
पर सूर्यास्त होने पर भी जब जादौंग नहीं आया तो अम्बी को चिंता और घबराहट होने लगी । उसने जंगल की ओर जाने का निश्चय किया । उसने भाँऊ को साथ लिया और बड़ी कठिनाई से दस ही कदम चली कि अचानक से होने
लगी तेज पीड़ा ने उसके पाँव अवरुद्ध कर दिये तेज चीख के साथ अम्बी वहीं बैठ गई ।
भाँऊ उसे उठाने के प्रयास मेंं उसके चारों तरफ गोल गोल चक्कर काटते हुए भौंकने लगा , पर शायद अम्बी पर मूर्छा छा रही थी ,उसकी आँखें धुँधलाने लगी थीं । अचानक मौसम में भी भयानक परिवर्तन दिखाई देने लगे। बिजलियाँ कड़कने लगीं ,काले गहरे घन आकाश मेंं छा गए । लग रहा था कि भारी तूफान आने को है ।
बारिश चालू हो गई ,और बूंदों से अम्बी की मूर्छा भी टूट गई । पर उसके अंदर खड़े होकर गुफा के भीतर जाने की शक्ति भी शेष ना थी । धूँधली नजरों से वो भाँऊ को जंगल की ओर भागते हुए देख पा रही थी ।
अम्बी ने रेंगते हुए गुफा मेंं जाने का प्रयास किया गुफाद्वार तक आते आते उसकी हिम्मत जवाब दे चुकी थी । कीचड़ में लथपथ अम्बी एक चट्टान की आड़ में अधलेटी अवस्था
मेंं टिक गई । दर्द असह्य होता जा रहा था और रह रहकर उसके गले से चीखें निकल रही थी । पहली बार अम्बी को अपने अकेले होने का अहसास डरा रहा था । बारिश के शोर के साथ उसे अचानक हिंसक गुर्राहट का स्वर सुनाई
दिया ।
इससे पहले कभी किसी गुर्राहट ने अम्बी को इस कदर नहीं डराया था , डर और दर्द का मिलाजुला असर उससे उसकी चेतना छीनना चाहता था,मगर वो जानती थी कि इसका परिणाम ना सिर्फ उसके लिए बल्कि उसकी
संतान के लिए भी घातक होता । गुर्राहट का स्वर उसे अपने करीब आता महसूस हुआ । कुछ ही कदमों की दूरी पर दो जोड़ी आँखें चमकती नजर आई उसे..........खतरा बहुत समीप था उसके । दर्द भी बढकर चरम पर
आ गया था । दर्द से तड़पती हुई अम्बी पूरी शक्ति लगाकर चीखी थी , शायद नये मेहमान ने उस बरसात को महसूस करने के लिए पूरी शक्ति लगाकर अम्बी का साथ दिया ।हाँ वह आ चुके थे अम्बी व जादौंग के परिवार का हिस्सा बनने को । एक नहीं तीन संतान एक बेटी और दो बेटे ।
अम्बी के चेहरे पर मु्स्कान की जगह भय ने ले ली ...वो दो शैतान शायद इसी मौके की ताक में थे ।उन गलीच लक्कड़बग्घों के मुख से टपकती लार को देखकर तो यही अनुमान हो रहा था ...गुर्राहट के साथ एक आगे बढा,अम्बी ने देवता से मदद माँगी .......
क्रमशः
नवजीवन के आगमन की खुशी और सुरक्षा का भय...ऐसे ही मिलेजुले भावों से रोमांचित होने के लिए जुड़े रहें,अगला भाग शीघ्र ही प्रकाशित होगा । धन्यवाद
© बदनाम कलमकार
#वरुणपाश #fiction #yourquote #yqwriter #yqdidi #yqhindi
पिछले अंक से आगे --
नए मानवीय संवेगों से परिचय
जादौंग और अम्बी दोनों का एक दूसरे के प्रति आकर्षण अन्य नर व मादा की तरह मात्र देहिक सुख तक सीमित नहीं था।देह का मिलन तो इस प्रेम का प्रारम्भ ही था।दोनों युगल एक साथ ही शिकार पर जाने लगे थे।अम्बी को जादौंग देव पुरुष लगने लगा था,उसने कभी अपने भाईयों में और अपने पिता के स्वभाव में इस तरह के कोमल भावों का दर्शन नहीं किया था।
उसने तो अपनी जननी धारा को हमेशा पुरुषों द्वारा नोंचे जाते ही देखा था.....वो तो यही जानती थी कि पुरुष एक ऐसा पशु है,जो अपनी प्रसन्नता और अपने स्वार्थ के लिए
ही सबकुछ करता है।पुरुष एक स्वकेन्द्रित प्राणी है, जिसका हर कार्य व्यवहार स्वयं के भोग मात्र निमित्त है।
कई बार अम्बी अपने अन्तर्मन के साथ संवाद करती- "जादौंग .... नहीं वो बिलकुल भी ऐसा नहीं है,वो तो हर काम में हाथ बँटाता है।उसने हमेशा मेरी इच्छा अनिच्छा को समझा और माना है...जादौंग अन्य पुरुषों से अलग है, बिल्कुल अलग।जादौंग का आगमन उसके जीवन में कितने सुखद परिवर्तन लाया है।वो मात्र दो प्राणी हैं गुफा में,फिर भी,लगता है मानो सारा संसार बसा लिया हो।क्या, कभी कोई पुरुष बडा शिकार लाने के बावजूद, अपनी मादा की इच्छा का सम्मान कर सकता है?कितनी ही बार ऐसा हुआ है कि,वो खुद थकी होने के कारण जादौंग को संसर्ग सुख ना दे पाई पर,वो देव पुरुष उग्र नहीं हुआ और मुस्कुरा कर माँस पकाने और गुफा के सार संभाल में मदद कराने लग गया।अन्य पुरुषों की भांति उसकी भूख़ देह तक सीमित नहीं है...वो प्रेम समझता है...निश्चित ही वो देवपुरुष है,जिसे देवता ने भेजा है ....मेरे लिये...इस गुफा के लिए,और....हमारा परिवार बढ़ाने के लिए..." , अंतिम विचार पर अम्बी खुद ही लजा जाती,उसका चेहरा लाल हो जाता।
कभी कभी तो,अम्बी को जादौंग में अपनी जननी धारा की छवि भी दिखाई देती थी,जब वो अम्बी के सिर को अपनी गोद में रख सहलाया करता था।
कई बार जादौंग में अम्बी एक शिशु की छवि भी देखती जब वो जिज्ञासु भाव से अम्बी की देह पर अपनी उंगली को फिराता,मानो उसे पूरी तरह पढ़ लेना चाहता हो।एक मीठी गुदगुदी का अहसास करके अम्बी खिलखिलाकर हँस पड़ती,और जादोंग एक बच्चे की तरह झेंपकर रूठ जाता कितना निश्छल,कितना मासूम,अम्बी चाहती कि, ऐसे ही उसे देखती रहे।
जादोंग और अम्बी के रिश्ते की प्रगाढ़ता का कारण शायद यह भी था कि वे दोनों ही विचारशील थे।प्रकृति को निहारना,उसके रहस्यों पर देर तक विचारना दोनों को अत्यंत प्रिय था।
परिवार में एक नया सदस्य
आज भी दोनों रात्रि में संसर्ग के पश्चात संतुष्ट भाव से आसमान में चमकते तारों को आपस में बाँट रहे थे,तभी कोई तारा टूटता हुआ दिखता है,अम्बी डर से जादौंग के विशाल वक्ष में अपना मुँह छिपा लेती।इस क्रीड़ा में जादौंग को बहुत आनन्द की अनुभूति होती,वो अपना हाथ बढ़ाकर मुट्ठी में,उस तारे को पकड़ने का उपक्रम करता और बंद मुट्ठी को अम्बी के चेहरे के पास ले आता था।अम्बी को सच में लगता कि,उस टूटते तारे को जादौंग ने मुट्ठी में बंद कर लिया है ...वो चकित भाव से जादौंग की मुट्ठी को छूती और इस जीत पर बहुत खुश होकर खिलखिलाकर ताली बजाती।जादौंग मन्त्र मुग्ध हो उसे निहारता रहता।पूर्ण चंद्र की चांदनी ने स्वर्गिक बना दिया था,अम्बी की गुफा के वातावरण को।
अचानक एक दर्द भरी गुर्राहट ने उन दोनों के ध्यान को भंग कर दिया।जादौंग ने लपककर अपना अस्त्र हाथ में उठा लिया और आवाज की दिशा में कदम बढ़ा दिए, अम्बी भी उसके पीछे ही चल रही थी .........!
झाडियों में हलचल का आभास हुआ तो,दोनों ही सधे कदमों से झाड़ियों तक पहुँचे ......वो एक भारी शरीर वाला कुत्ता था,जिसका एक पैर बुरी तरह जख्मी हो गया था और जख्म से खून रिस रहा था।जादौंग जिस गुफा बस्ती से आया था,वहाँ कुत्तों का प्रयोग शिकार व गुफा की रखवाली के लिए करना आम बात थी पर अम्बी ने अपने जीवन में इस जीव को पहली ही बार देखा था उसकी गुफा के आसपास तो क्या,दूर तक भी कोई दूसरी गुफा बस्ती नहीं थी।
अम्बी काफी देर तक अचरज और खौफ़ के मिलेजुले भाव लिए थोड़ी दूरी रख,उसे देखती रही।जादौंग अम्बी के भावों को समझकर मुस्कुरा रहा था।अम्बी ने कुत्ते की आँखों में पीड़ा के चिन्हों को महसूस किया,उसने जादौंग की तरफ देखा...आश्वासन का भाव नजर आया।दोनों ने कुत्ते को उठाया और उसे गुफाद्वार पर ले आये। कुत्ते ने कोई प्रतिरोध नहीं किया,बस दर्द से कराहता हुआ कूँ-कूँ करता रहा।
आमतौर पर जो गुफामानव अधिक संख्या में बस्ती बसाकर रहते थे वही कुत्तों का उपयोग उसे पालतु बनाकर अपने कार्यों , जैसे गुफाबस्ती की रखवाली और शिकार आदि में करने लग गए थे,जिससे उनकी जीवनचर्या में काफी सुगमता आ गई थी।पशुपालन की प्रारंभिक अवस्था थी,अतः सभी कबीलों में यह ज्ञान अभी नहीं पहुंचा था। बस कुछ ही समूह कुत्तों का प्रयोग करना जानते थे। प्रभुत्व के संघर्ष में भी कुत्तों का विशेष महत्व रहता था।जिस गुफामानव के पास पालतू कुत्तों का बेड़ा ज्यादा ताकतवर होता अकसर वही विजित रहता था।
जादौंग का अंतर्मन सशंकित हो रहा था , क्योंकि वह जानता था की कुत्ते की उपस्थिति का अर्थ है कि, या तो नजदीक ही कोई गुफा बस्ती है , जिसका यह कुत्ता है ! घायल होने पर इसे भी निष्कासित कर दिया है , स्वार्थी गुफामानवों ने या फिर कुछ गुफामानवों का दल नए वन व आवास की तलाश में निकला है .....।
"वह सोच रहा था की यदि किसी गुफामानवों के समूह ने कुत्तों की टुकड़ी के साथ आकर उसकी गुफा पर अधिकार जताया...तो क्या वह दोनों मुकाबला कर सकेंगे ! कहीं वह गुफा के साथ साथ अम्बी को भी...."इस खयाल से जादौंग के शरीर का बाल बाल खड़ा हो गया था, अम्बी ने उसके चेहरे के डर को तो पढ़ लिया पर उसका कारण नहीं समझ पाई थी।
अम्बी ,जादोंग के चेहरे के बदलते भावों को गौर से देखकर अनुमान लगाने का प्रयास कर रही थी ,कि कुत्ता फिर से दर्द की अधिकता से गुर्राने लगा । दोनों का ध्यान एक साथ ही उसके जख्म पर गया ....चूँकि पूरे चाँद की
रात थी वे स्पष्ट देख पा रहे थे ,पीछे वाले पैर पर काफी बड़ा घाव था ...।
जादोंग किंकर्तव्यविमूढ़ अपने स्थान पर खड़ा बस उसे देखने के अलावा कुछ और उपाय नहीं सोच पा रहा था । पर अम्बी गुफा के भीतर से कुछ पत्तियाँ लेकर आई और उन्हें चबा चबा कर बारीक करके जख्म पर लगा दिया ।
कुत्ते ने धीमी गुर्राहट निकाली पर शांत पड़ा रहा। जादौंग मन्त्र मुग्ध सा अम्बी को देख रहा था और अम्बी बडे ही ध्यान से जख्म का उपचार करने में मग्न थी ।
जख्मी पैर जो कि टूट भी चुका था को अम्बी ने खींच कर सीधा किया ,कुत्ते का रोना महसूस हुआ जादोंग को । शिकारी जादोंग उसके रुदन से भावुक हो उठा और धीरे से कुत्ते के सर पर हाथ फेरने लगा ।
जादोंग ने अपने विकसित कबीले में भी उपचार की यह पद्धति नहीं देखी थी,वहाँ तो जख्म को देवता के सुपुर्द कर दिया जाता था और यह मान लिया जाता था की अगर , जख्म सही नहीं हो पाया तो वह देवता की इच्छा है । देवता की इच्छा का सम्मान सभी को करना पड़ता था ,इसीलिए जख्मी को घाटी के देवता को समर्पित कर देते थे ।
पर अम्बी ने तो चमत्कार ही कर दिया , कुछ ही समय में कुत्ता चलने लायक हो गया अब जब अम्बी फलों और जडों को इकट्ठा करने और जादौंग शिकार पर जाते तो वह गुफा द्वार पर अनधिकृत प्रवेश को रोकने के लिए रखवाली किया करता था।
कुत्ता अब जादोंग परिवार का ही हिस्सा था , अम्बी और जादौंग उसे बहुत स्नेह करते थे । दोनों उसे भाँऊ बोलकर बुलाने लगे ,और भाँऊ भी एक ही आवाज पर दौड़कर आता और अपना स्नेह पैरो पर जीभ फिराकर व्यक्त करता था ।
---------------------------------
नए सदस्यों के आगमन के चिन्ह
अम्बी में भावनात्मक व शारीरिक परिवर्तन होते देख जादोंग विस्मित था , मगर अम्बी को शायद इसका कारण समझ आ चुका था । ऐसे ही परिवर्तन अपनी जननी मेंं दृष्टिगत हुए थे अम्बी को ...उसे हर बात बारीकी से समझाई थी धारा ने । इसीलिए उसे अपने गर्भ मेंं पलते जीव का पूरी तरह भान था । वो खुश थी और जादोंग के साथ इस खुशी को बाँटना भी एक अभूतपूर्व खुशी का अहसास था उसके लिए । जादोंग की जिज्ञासा को बडी सहजता से अम्बी ने सुलझा दिया ।
....गुफा के द्वार पर ही विशालकाय वृक्ष की टहनी पर एक पंछी युगल के परिवार में नन्हे चूजे का आगमन हुआ,इस जोड़े को कल्लोल करते अकसर जादोंग व अम्बी मग्न होकर देखा करते थे । चूजे को दिखाकर अम्बी ने अपने पेट की ओर इशारा किया तथा मुसकुरा कर पलकें झुका लीं । कुछ ही देर मेंं जादोंग समझ गया कि उसके और अम्बी के प्रेम को पूर्णता मिलने वाली है ,उनकी गुफा का
विस्तार होने जा रहा है ।
घंटों तक उल्लसित जादोंग बच्चों की तरह अठखेलियाँ करता रहा ,पेड़ों की टहनियों पर झूलता ,हिरणों के साथ कुँलाचें भरता ,मानो सभी के साथ अपनी खुशी साझा करने का पागलपन सवार हो गया हो उसपर । अम्बी उसकी इन हरकतों को देख घंटों तक खिलखिलाती रही ।
------------------------------
नाराजगी और पश्चाताप
अम्बी के गर्भ का समय शायद पूर्ण हो आया था ,पीड़ा की वजह से व्यवहार में भी चिड़चिड़ापन बढ़ रहा था । अभी जरा भी भारी कार्य नहीं कर पा रही थी अम्बी । ऐसा नहीं कि जादौंग उसका खयाल नहीं रख रहा था , उसके कार्य व्यवहार मेंं एक जिम्मेदार पति की झलक दिख रही थी ,शिकार करने के बाद माँस पकाना ,और शक्तिवर्धक पेय
बनाना भी सीख लिया था उसने । कभी कभी ,शायद कार्य की अधिकता से अम्बी पर खीज भी उठता ,मगर कुछ ही देर में खुद से ही शांत भी हो जाता ।
मगर आज दोनों ही अधिक आक्रोशित हो गए । जादौंग का बनाया जड़ी बूटियों का शक्ति वर्धक पेय को भी अम्बी ने रूठकर फैंक दिया और जादौंग गुस्से में पैर पटकता ,जंगल की ओर चला गया ।
दरअसल जादौंग को अम्बी से पुरुष संतान की अपेक्षा हैऔर अम्बी मादा संतान चाहती है । जादौंग सोचता है कि गुफा और परिवार की सुरक्षा पुरुषों द्वारा ही हो सकती है,जबकि अम्बी सोचती है कि मादा सुरक्षा करने में भी सक्षम है तो पोषण भी वही करती है ।
जादौंग के जाने के बाद काफी देर तक अम्बी रोती रही ।भाँऊ उसके पैरों को चाटता हुआ उससे अपनी हमदर्दी व्यक्त करता रहा , फिर गुफा के भीतर से कुछ फल उठाकर अम्बी के लिए ले आया ,और पूँछ हिलाकर अम्बी से
अनुनय करता रहा कि वह कुछ खा ले । आँसुओं के बहने से जब दिल हलका हो गया तो शांत होकर अम्बी ने कुछ फल खा लिए और भाँऊ को भी थोड़ा माँस खाने को दिया उसे लग रहा था कि जादौंग भी थोड़ी ही देर मेंं लौट आएगा पछताकर ।
पर सूर्यास्त होने पर भी जब जादौंग नहीं आया तो अम्बी को चिंता और घबराहट होने लगी । उसने जंगल की ओर जाने का निश्चय किया । उसने भाँऊ को साथ लिया और बड़ी कठिनाई से दस ही कदम चली कि अचानक से होने
लगी तेज पीड़ा ने उसके पाँव अवरुद्ध कर दिये तेज चीख के साथ अम्बी वहीं बैठ गई ।
भाँऊ उसे उठाने के प्रयास मेंं उसके चारों तरफ गोल गोल चक्कर काटते हुए भौंकने लगा , पर शायद अम्बी पर मूर्छा छा रही थी ,उसकी आँखें धुँधलाने लगी थीं । अचानक मौसम में भी भयानक परिवर्तन दिखाई देने लगे। बिजलियाँ कड़कने लगीं ,काले गहरे घन आकाश मेंं छा गए । लग रहा था कि भारी तूफान आने को है ।
बारिश चालू हो गई ,और बूंदों से अम्बी की मूर्छा भी टूट गई । पर उसके अंदर खड़े होकर गुफा के भीतर जाने की शक्ति भी शेष ना थी । धूँधली नजरों से वो भाँऊ को जंगल की ओर भागते हुए देख पा रही थी ।
अम्बी ने रेंगते हुए गुफा मेंं जाने का प्रयास किया गुफाद्वार तक आते आते उसकी हिम्मत जवाब दे चुकी थी । कीचड़ में लथपथ अम्बी एक चट्टान की आड़ में अधलेटी अवस्था
मेंं टिक गई । दर्द असह्य होता जा रहा था और रह रहकर उसके गले से चीखें निकल रही थी । पहली बार अम्बी को अपने अकेले होने का अहसास डरा रहा था । बारिश के शोर के साथ उसे अचानक हिंसक गुर्राहट का स्वर सुनाई
दिया ।
इससे पहले कभी किसी गुर्राहट ने अम्बी को इस कदर नहीं डराया था , डर और दर्द का मिलाजुला असर उससे उसकी चेतना छीनना चाहता था,मगर वो जानती थी कि इसका परिणाम ना सिर्फ उसके लिए बल्कि उसकी
संतान के लिए भी घातक होता । गुर्राहट का स्वर उसे अपने करीब आता महसूस हुआ । कुछ ही कदमों की दूरी पर दो जोड़ी आँखें चमकती नजर आई उसे..........खतरा बहुत समीप था उसके । दर्द भी बढकर चरम पर
आ गया था । दर्द से तड़पती हुई अम्बी पूरी शक्ति लगाकर चीखी थी , शायद नये मेहमान ने उस बरसात को महसूस करने के लिए पूरी शक्ति लगाकर अम्बी का साथ दिया ।हाँ वह आ चुके थे अम्बी व जादौंग के परिवार का हिस्सा बनने को । एक नहीं तीन संतान एक बेटी और दो बेटे ।
अम्बी के चेहरे पर मु्स्कान की जगह भय ने ले ली ...वो दो शैतान शायद इसी मौके की ताक में थे ।उन गलीच लक्कड़बग्घों के मुख से टपकती लार को देखकर तो यही अनुमान हो रहा था ...गुर्राहट के साथ एक आगे बढा,अम्बी ने देवता से मदद माँगी .......
क्रमशः
नवजीवन के आगमन की खुशी और सुरक्षा का भय...ऐसे ही मिलेजुले भावों से रोमांचित होने के लिए जुड़े रहें,अगला भाग शीघ्र ही प्रकाशित होगा । धन्यवाद
© बदनाम कलमकार
#वरुणपाश #fiction #yourquote #yqwriter #yqdidi #yqhindi