विजय की यात्रा
पहला भाग:
यह कहानी है एक लड़की कि जिसका नाम यालिना था। वो बचपन से अपनी ननीहाल में रहती थी, वहां उसके नाना-नानी, मामा-मामी,खाला रहती थी और वो सब उससे बहुत प्यार करते थे। उसकी हर एक छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी ख्वाहिश को पूरा करने की कोशिश करते थे।वह अपने माता-पिता से कभी-कभी मिलती थी, उसको अपनी ननीहाल और वहां के लोग बहुत प्यारे थे।वह अपने माता-पिता से अलग रह सकती थी लेकिन अपनी ननीहाल से नहीं।
दिन भर सब यालिना के साथ खेलते और उसका खूब ख्याल रखते।एक दिन उसकी नानी की तबीयत खराब हो गई, जब डॉक्टर को दिखाया गया तो पता चला के उन्हें शुगर है ।धीरे-धीरे वक्त गुज़रता गया, रोज़ का वही तरीका सुबह होते ही सब यालिना के साथ खेलते रहते और उसकी नानी भी अपना सारा ध्यान उसमें ही लगाती।
एक दिन उस कि नानी की तबीयत अचानक से बहुत ज्यादा खराब हो गई,उन्हें डॉक्टर के पास लेकर गए ,अस्पताल में भर्ती करना पड़ा लेकिन अगले दिन की सुबह यालिना और बाकी घर वालों के लिए बहुत बुरी खबर लेकर आ रही थी इस बात का कोई अंदाजा भी नहीं कर सकता...
यह कहानी है एक लड़की कि जिसका नाम यालिना था। वो बचपन से अपनी ननीहाल में रहती थी, वहां उसके नाना-नानी, मामा-मामी,खाला रहती थी और वो सब उससे बहुत प्यार करते थे। उसकी हर एक छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी ख्वाहिश को पूरा करने की कोशिश करते थे।वह अपने माता-पिता से कभी-कभी मिलती थी, उसको अपनी ननीहाल और वहां के लोग बहुत प्यारे थे।वह अपने माता-पिता से अलग रह सकती थी लेकिन अपनी ननीहाल से नहीं।
दिन भर सब यालिना के साथ खेलते और उसका खूब ख्याल रखते।एक दिन उसकी नानी की तबीयत खराब हो गई, जब डॉक्टर को दिखाया गया तो पता चला के उन्हें शुगर है ।धीरे-धीरे वक्त गुज़रता गया, रोज़ का वही तरीका सुबह होते ही सब यालिना के साथ खेलते रहते और उसकी नानी भी अपना सारा ध्यान उसमें ही लगाती।
एक दिन उस कि नानी की तबीयत अचानक से बहुत ज्यादा खराब हो गई,उन्हें डॉक्टर के पास लेकर गए ,अस्पताल में भर्ती करना पड़ा लेकिन अगले दिन की सुबह यालिना और बाकी घर वालों के लिए बहुत बुरी खबर लेकर आ रही थी इस बात का कोई अंदाजा भी नहीं कर सकता...