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भोली कि दर्द भरी दास्तां
मेरा नाम भोली ..मै करती रहतीं दिन भर शैतानी।।
रोज मेरे वजह से मेरी माता-पिता परेशान हो जाती।
एक दिन जब मैं खेल रही थी खेत में तो मैं कहीं से किसी के आने की आवाज सुनाई दे पाऊं कि,
पर मैंने अनदेखा कर दिया सोचा कोई होगा जंगली जानवर में खेलने लग गई अपने खेल में....
आते होए कुछ मनचले युवक जो थे अमीर घर के पर रोज चलते जाते कई मासूम को अपना शिकार बनाने।
उसमें से मैं भी बन गई इन लोगों कि
आ कहा कि
अरे गुड़िया: किया कर रही हू..
मैं थोड़ा डरी पर बोली भैया कुछ नहीं
देखो मैं खेल रही हूं
दिखाई दे रहा तो भी पूछते हू
हां हां.. गुड़िया माफ़ करना।।
पर क्या खेल रही हूं...
मैं सभी पेड़ पौधों में पानी डाल उनसे बातें कर उनके लिए खाद बन बनकर और उनके साथ बातें कर खेल रही हो।।
भैया ने बोला मेरे साथ एक खेल खेलूंगी
बहुत अच्छा लगेगा
मैं कोनसा
मैं सोची फिर बोली आपको मैं नहीं हों और मां पापा बोलते हैं अंजान लोगों के साथ बात नहीं करना चाहिए।
लड़को ने आपस मैं बात कर हा गुड़िया सही बोलते हैं
पर तुम तो अभी मुझे भईया बोली तो कैसे अंजान हुआ।
सोची हां।।
खेल कूद में शामिल कर
सभी ने मिलकर घेरा बना मुझे बीच में ला दिए
मे बोली कोंसा खेल हैं
वह लोग बोले गुड़िया अलग सा खेल हैं बहुत अच्छा लगेगा। सभी ने मिलकर अपना और मेरा साथ जो क्या नहीं समझ पाई मुझे अध मारा छोड़ वही भाग गए
वह लोग 16 जन थे
मुझे कुछ समझ नहीं आया बहुत तकलीफ़ हो रही में उठ भी नहीं पा रही थी पर खियाल कि मां पापा ढूंढ रहे होगे पेरशान होगे
देख शाम हो बिटिया नहीं आई घर
मां पापा खोज में निकल गए
देख सब और जब आए खेत में तू बेटी कि आखिरी चंद सासे बची जो मां पापा के देखने के लिए रुकी हों
देखें आते रो रो बुरा हाल मां पापा और बेटी ने सब सुना दिया हाल अपना
देख अपनी बिटिया को इतना दर्द मैं कलेजा फटा जा रहा था
जिसे पाला प्यार से कभी नहीं एक खारोश ना आने दी आज कुछ हरमखोर के लड़को के वजह मेरी नाजोक बेटी इस हाल में हैं
उठा पापा मुझे ईलाज के लिए पर डॉक्टर देख हाल बोल दिए नहीं बच पायेगी।।
आंख बन्द हो गई।।
प्रतिबंध लगा दिया मेरी ज़िंदगी पर कुछ लोगो ने

मुझे क्या पता इन दुनिया के लोगों की हरकतें और उनके विचार इतने अच्छे कितने बुरे कितने क्या होते हैं मुझे तो अपनी दुनिया प्यारी थी मेरे भोले शरारत तेरे और मुस्कुराहट के दीवानी थी मेरे माता-पिता अपने जन।
पर उसे दिन की घटना ने मेरी जिंदगी ही बदल के रख दी महेश में 8 साल की बिटिया अपना बचपन को दी मैंने किसी दूसरे के हरकत के वजह से छिन गया मेरा मासूमियत मेरा पाल पाल हसना मेरी शैतानियां मेरी कविता कहानी सुनाने की आदत बाहर घूमने खेलने की आदत सब छीन लिया उसने और उसके साथ ही होने क्या गलती थी मेरी मैंने क्या बिगाड़ा था किसी का क्यों किया उसने क्यों क्यों होता है यह सब किस लिए क्यों इतने लोग बुरे हो गए हैं अपना हवस मिटाने के लिए किसी का भी शिकार करते हैं कितनी गंदी है दुनिया कितने बुरे हैं लोग मुझे नहीं रहना ऐसे जहां में मत करो भगवान लड़कियों को जन्म देना अगर देना है तो सुरक्षा भी दो और ऐसे पापियों का नाश करने के लिए आओ यहां।।

मां पापा ने लड़ी लड़ाई
बार बार खटखटाया कानून का दरवाजा लड़ते रहे मेरे लिए की मिलेगा इंसाफ पर मिलने में तो इंसाफ कोई वर्षों वर्षों बीत गए
कई को पैसा होने के वजह दबा दिया गया भोली कि आवाज और उनकी मां पापा को
कोई को मिली जमानत कैसे चलेगा फूलेगा यह समाज कैसे रहेगी बिटिया इस समाज में सुरक्षित कहां हो कहां कैसे होगा किस पूछेगी।
किस पर कर विश्वास पुछु में भोली आप सभी से कि कह देते है उसके साथ हुआ जाने दो............ अभी भी मेरी ज़िंदगी कि कहानी खत्म नहीं होई बाकी है
उन हर भोली जैसी बिटिया जो शिकार हो रही पापियों के हाथ से। बचाओ उन सब को संती दो मुझे पापियों को तरपा तरपा को मारो जैसे मेरे साथ किया।
सब खोह सा गया 🥺😭😭😭😭



बबिता कुमारी
© story writing