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ब्लैम गेम
अपनी कमी- गलती ढकने और खुद को सही साबित करने के लिए अक्सर हम दूसरों को दोषी ठहराते हैं, लेकिन असल में यह ब्लेम गेम हमारी छवि को बिगड़ता है।

निशा दफ्तर में कंप्यूटर पर प्रोजेक्ट बना रही थी। उसने अपने सहयोगी राज से सलाह मांगी राज ने उसे कुछ सुझाव दिए। प्रोजेक्ट जब बॉस के पास पहुंचा तो उन्होंने उसे रिजेक्ट कर दिया। तभी से निशा अपनी प्रोजेक्ट के रिजेक्शन के लिए राज को जिम्मेदार ठहरा रही है। अपनी गलती का दोष दूसरे के सिर मडना उसकी आदत मै शुमार हो चुका है। घर पर खाना बनाते समय अगर नमक या मिर्ची ज्यादा हो जाए या चाय में चीनी अधिक हो जाए तो वह इसका दोष भी अपने पति या बच्चों को देती है कि तुमने टीवी की आवाज जोर से कर दी मैं गिनती भूल गई और 3 की जगह 4 चम्मच चीनी डाल गई। वास्तव में जब कोई व्यक्ति कुछ ऐसा करता है जिस पर उसे पछतावा होता है लेकिन वह किसी दूसरे पर आरोप मड़ देता है तो इसे "ब्लैम गेम" कहते हैं। कई बार इस ब्लेम गेम को खेलने वाला एक से ज्यादा झूठ बोलता है और आखिरकर इसी लाई- नेट यानी झूठ के जाल मे फस जाता है और उसे इस आदत का खामियाजा भुगतना पड़ता है। खुद को सही साबित करने के लिए दूसरों को दोषी ठहराने की यह आदत आपके व्यक्तित्व को कलई खोल देती है इसलिए इस गलत आदत को बदलना बेहद जरूरी है। इन दिनों घर हो या प्रोफेशनल लाइफ दोनों में ब्लेम गेम खूब खेला जाता है कोई खेलता है तो कोई झेलता है। परिवार के सदस्य या रिश्तेदार दूसरे पर दोषारोपण कर अपनी गलती से बचने का प्रयास करते हैं। इसी तरह दफ्तर में बॉस अपनी कमी छुपाने के लिए अधीनस्थों या चतुर लोग अपने साथी कर्मचारियों पर अपनी गलती का दोष मढ़कर खुद को बचाने की कोशिश करते हैं ।

जब कोई किसी दूसरे पर अपनी गलती की जिम्मेदारी डालता है तो दूसरा स्वयं को अपमानित महसूस करता है। साथ ही जो दोषारोपण करता है वह अपने सच छिपाने के लिए एक के बाद एक कई झूठ बोलता जाता है। फिर उन सब झूठों को याद रखता है कि किससे क्या कहा? क्योंकि जरा सी चूक उसके झूठ की पोल खोल देगी। ऐसे में ब्लेम गेम का खिलाड़ी अपने इर्द-गिर्द झूठ का एक जाल बुन लेता है और अंत में इस मकड़जाल में फंस कर रह जाता है।

ब्लेम गेम की आदत से बचने के लिए अपने स्वभाव को बदलें । सबसे पहले अपनी जिम्मेदारी, कार्य की प्रकृति और गंभीरता को समझें। यह आत्मा व लोकन घर या प्रोफेशनल लाइफ कहीं भी हो सकता है। आपको कार्य करने में जितना समय लगेगा? क्या चुनौतियां आ रही है? इसको समझे फिर काम करें । यदि किसी कारण कार्य को पूरा नहीं कर पा रहे हैं तो संबंधित व्यक्ति या अधिकारी से बात करें। उसे वास्तविकता से अवगत कराएं। यदि कोई गलती हो गई है तो परेशान होकर झूठ बोलने की जगह उसकी जिम्मेदारी लें तूने मेरा धैर्य के साथ मस्तिष्क को शांत रखें तूने मेरा देर से जब आप काम करेंगे तो गलतियों की संभावना कम हो जाएगी। जब काम नियत समय से सही ढंग से पूरा हो जाएगा तो ब्लेम करने की जरूरत ही नहीं रहेगी। साथ ही आपकी आदत छूट जाएगी।

यदि हम स्वयं पर किसी गलती की जिम्मेदारी लेते हैं तो खुद पर हम में बहुत मेहनत करनी होती है। गलती की समीक्षा करके कारण जानकर फिर उनको ठीक करना होता है। ऐसे में सबसे आसान तरीका है दूसरों पर आरोप लगाना लेकिन यह अंत में दुखदाई होता है। इससे बचने के लिए आत्म अवलोकन करें। किसी घटना या गलती को कई हिस्सों में देखें और प्रत्येक हिस्से में अपनी भूमिका की भी समीक्षा करें। ऐसा करोगे तो आपका व्यक्तित्व निखरेगा और आपका विकास होगा।
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