...

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हाल देश का
जब लुट रही थी इज़्ज़त उसकी कहां थे वो धर्म के ठेकेदार
हो रही जब इज़्ज़त तार तार कहां थी वो सरकार,
क्या इसी के मत से चलता है तुम्हारा सरोकार?

माना कानून तो है अंधा हमारा
पर सरकार की तो आंखे है चार
फिर क्यों होता है एक सिर का दूसरे सिर को अलग करने में इस्तेमाल?
देखी एक भीड़ मैने नौजवानों की
तस्वीर थी शायद उज्ज्वल भविष्य भारत बनाने की
पास से देखा तो वो सब एक छल था,
ये वो नही जिनके हाथों में हमारा कल था।
यहां तैयारी चल रही किसी को दफनाने की
या उसे मार कर भाग निकल जाने की
क्या यही तुम्हारी इंसानियत या देशभक्ति इस ज़माने की।

महीने तक कैद किया शायद तैयारी थी लोकतंत्र लाकर इस देश का भाग बनाने की
बेटे को तो नागरिक कहा क्या साजिश थी ये अब्बा को बाहर निकलवाने की?
फेंक गया कोई एसिड उस पर
कुचल गई देशभक्तों की भीड़ है,
सरकार तो नारा लगा रही “ मेरा भारत महान है”
पर क्या फर्क पड़ रहा
की बेटियां आज़ाद है या कैद है।
इंसान हूं मै लेकिन इंसान सी कोई बात नही
डिग्री है मेरे पास पर ज्ञान जैसी कोई बात नही।
© sharma