सब पुरुष एक जैसे नहीं होते
सरला को अचानक लखनऊ जाना पड़ा। उसके पिता वहीं पोस्टेड थे और पिछले तीन दिन से हास्पिटल में एडमिट थे। उसका रिजर्वेशन जिस कोच में था, उसमें लगभग जेंट्स थे और वो भी अधिकतर लड़के।टॉयलेट जाने के बहाने से सरला पूरे कोच में राउंड लगाकर देख आई थी, पूरे कोच में मुश्किल से दो या तीन लेडिज ही थी। अनायास ही उसका मन अनजाने भय से घबरा गया ।
यह पहली बार था जब वह अकेली यात्रा कर रही थी, इसलिये पहले से ही उसे थोड़ी घबराहट हो रही थी।अपने को सामान्य रखने के लिए वह चुपचाप अपनी सीट पर मैगज़ीन निकाल कर पढ़ने लगी ।
नवयुवकों का ग्रुप जो शायद किस ट्यूमर या कैम्प में जा रहा था,हँसी - मजाक और चुटकुलों से कोच को गूंजा रहा था। उनके इस शोर ने उसकी हिम्मत को और भी तोड़ दिया ।
उसके के भय और घबराहट के बीच अनचाही सी रात धीरे - धीरे गहराने लगी ।उसके सामने बैठा हुआ लड़का उसकी ओर ही देख रहा था।वह थोड़ी सी और सहम गई।
उस लड़के ने कहा -हेलो , "मैं अनुपम और आप ?"
संशय और भय से पीली पड़ चुकी सरला ने कहा --" जी मैं ......। मानो उसका गला सूख...
यह पहली बार था जब वह अकेली यात्रा कर रही थी, इसलिये पहले से ही उसे थोड़ी घबराहट हो रही थी।अपने को सामान्य रखने के लिए वह चुपचाप अपनी सीट पर मैगज़ीन निकाल कर पढ़ने लगी ।
नवयुवकों का ग्रुप जो शायद किस ट्यूमर या कैम्प में जा रहा था,हँसी - मजाक और चुटकुलों से कोच को गूंजा रहा था। उनके इस शोर ने उसकी हिम्मत को और भी तोड़ दिया ।
उसके के भय और घबराहट के बीच अनचाही सी रात धीरे - धीरे गहराने लगी ।उसके सामने बैठा हुआ लड़का उसकी ओर ही देख रहा था।वह थोड़ी सी और सहम गई।
उस लड़के ने कहा -हेलो , "मैं अनुपम और आप ?"
संशय और भय से पीली पड़ चुकी सरला ने कहा --" जी मैं ......। मानो उसका गला सूख...