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"कंकड़"
समीर आज दफ्तर से सीधे यही चला आया था,आज उसका मन बहुत उदास था,उसका हमेशा का नियम था वह जब कभी उदास महसूस करता था सीधे इसी झील के पास आकर बैठ जाता था,कुछ देर मन में उमड़ते अपने भावों से जूझ कर फिर वो अपने घर वापस लौट जाता था।
उसकी शादी को दस साल हो चुकें थे लेकिन पत्नी का सुख क्या होता है ये समीर समझ नहीं पाया था,विनिता घर के कार्यों में बहुत निपुण थीं देखने में भी सुन्दर थीं मगर पति के सानिध्य की उसमें कभी उष्मा नहीं देखी थी समीर ने,न उसे समीर के साथ वार्तालाप में ही कोई रूचि थी न ही उसे देय की कोई लिप्सा थी,रात को समीर को ऐसा अनुभव होता था जैसे वो केवल अपने कर्तव्य पालन हेतु अपने देय को सौप देतीं हो ।
स्वभाव से भी वो बहुत गरम मिज़ाज की थी,छोटी छोटी बातों में ही उसका पारा परवान चढ़ जाता था।
कल की ही बात थी बच्चों के लिए स्कूल की कुछ किताबों की जरूरत थी समीर ने कहा कि कुछ दिन बच्चों से कहों मैनेज कर ले तनख्वाह मिलतें ही ले दूंगा बस इतना कहा था समीर ने तो विनिता ने आसमान सर पर उठा लिया और बोलीं आपके पास तो कभी पैसे होतें ही नहीं है जब देखों अभी पैसे नहीं है पता नहीं मेरे पिताजी को आपमें ऐसा क्या दिखा जो मुझे आपके हवाले कर दिया और वह बक बक करते हुए दूसरे कमरे में चलीं गई ।
समीर सोचता कि आखिर ये औरत मेरी परेशानियों को क्यों नहीं समझतीं,आज इसी लिए वो इस झील पर आकर बैठ गया था।
कुछ देर अपने मन को सयंत कर वो घर की ओर चल दिया।
घर जातें ही विनिता ने अपना फरमान सुना दिया कि कल वो कुछ दिनों के लिए मायके जा रहीं है,उसकी माँ की तबियत ठीक नहीं है तो उसे बुलाया है, समीर खामोश रहा ।
दूसरे दिन विनिता बच्चों को लेकर अपने मायके चली गई,जाने से पहले उसने समीर को बता दिया कि दो दिनों के लिए सब्ज़ी और दाल पकाकर उसनें फ्रिज में रख दिया है ताकि दो दिनों तक उसे कोई दिक्कत न हो, और कुछ और बातों को उसे समझा कर वो चलीं गई,उसका मायका गाजियाबाद में था,सो समीर ने उसे ट्रेन में बिठा दिया।
घर आकर समीर ने शान्त मन से खाना खाया और सो गया।
विनिता रोज उसे फोन किया करती थी लेकिन दो दिन से उसका फोन नहीं आया तो उसे चिंता हुई उसनें विनिता के घर में फोन किया तो फोन उसके पिता ने उठाया जब उसने विनिता का पूछा तो वो बोले विनिता तो मायके आतें ही सुकेश के संग कही गई थी लेकिन अब तक घर वापस नहीं आई इसलिए वो सब बहुत परेशान है, सुनते ही समीर के पैरों तले जमीन खिसक गई।
दो दिन बाद उसे विनिता के पिता ने कहा कि विनिता के कपड़े और बैग उसके घर से कुछ ही दूर पर एक पार्क में मिली है!! समीर ने आनन फानन में विनिता की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करा दी,दिन गुजरते रहें और देखते ही देखते १५ दिन गुज़र गए विनिता की कोई खबर नही मिलीं इस दौरान समीर बच्चों को विनिता के घर जाकर ले आया था क्योंकि उनके स्कूल में बहुत दिन अवकाश हो चुकें थे ।
एक दिन समीर उदास फिर उसी झील के किनारे जाकर बैठा और कंकड़ डालने लगा तभी उसनें झील से बुलबुले उठते देखा समीर चौक उठा कुछ देर यूँ ही बुलबुला उठता रहा फिर सब शान्त हो गया, समीर मन में कौतूहल लिए घर आ गया।
दूसरे दिन फिर शाम को जब झील के किनारे जाकर बैठा और उसके कंकड़ डालते ही बुलबुले उठाने का सिलसिला शुरू हो गया और कुछ देर बाद सब शान्त हो गया।
समीर कुछ भी नहीं समझ पा रहा था कि आखिर ये बुलबुला क्यों उठता है झील में और कैसे सब शान्त हो जाता है?
दूसरे दिन विनिता के पिता का फोन आया कि जल्दी गाजियाबाद चले आओ,विनिता की हत्या हो गयी है।
समीर मन में दुख और ढेरों सवाल लिए गाजियाबाद के लिए रवाना हुआ,घर जाकर उसनें देखा पुलिस खड़ी है समीर को देखते ही वो बोले आप ही समीर है? समीर के हां कहने पर वो बोले, "देखिए मिस्टर समीर हमें एक लाश मिलीं है लाश की शिनाख्त के लिए आप के ससुर जी को बुलाया था उन्होंने लाश विनिता की है उन्होंने इसकी पुष्टि कर दी है अब एक बार आप भी कर दे तो बौडी को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा देते है,समीर उनके साथ चल दिया।
वहाँ जाकर समीर ने देखा कि लाश काफी फूली हुई थी, पुलिस ने बताया बौडी एक झील में मिली है,ये हत्या भी हो सकती है और आत्महत्या भी,समीर ने विनिता के लाश की पुष्टि कर दी, दो दिनों बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई पुलिस ने समीर को बताया कि विनिता को पहले गला घोंट कर मारा गया फिर लाश को झील में फेंक दिया गया,और फिर विनिता की बौडी को समीर और विनिता के घरवालों के हवाले कर दिया गया।
अंतिम संस्कार के बाद समीर दो दिन बाद बच्चों को लेकर घर चला आया।
एक दिन रात को समीर ने सपना देखा कि सुकेश विनिता के साथ एक गहनों की दुकान में खड़ा है और बहुत हंस हंस कर उससे बातें कर रहा है।
दूसरे दिन समीर जब नींद से जागा तो उसी सपने पर विचार करने लगा उसे ये सपना कुछ ठीक नहीं लगा,सुकेश विनिता के मायके में एक किरायेदार था।
दूसरे दिन उसनें विनिता के पिता को फोन किया और पूछा सुकेश कहाँ है आजकल तो उन्होंने कहाँ कुछ दिनों के लिए कहीं बाहर गया था अभी वापस आ गया है समीर ने पूछा कि कब बाहर गया था तो पिताजी का भी माथा ठनका क्योंकि उन्हें ध्यान आया कि वो तो उसी दिन बाहर चला गया था जिस दिन........ और उन्हें भी कुछ संदेह हो गया, समीर बोला पापा मै कल आ रहा हूँ, और दूसरे दिन वो बच्चों को लेकर गाजियाबाद पहुँच गया,दोनों ने सुकेश को उसके कमरे से धर दबोचा और उसके कमरे से उन्हें बहुत से पैसे और विनिता की कुछ तस्वीरें भी मिलीं दोनों ने उसे पुलिस के हवाले कर दिया और सुकेश के घर से मिले पैसे और विनिता की तस्वीरें भी पुलिस के हवाले कर दी ।
बाद में पुलिस की सख्ती के आगे सुकेश टिक न सका और उसनें सिलसिले वार सारा वृतांत कह दिया, सुकेश के बयान से जो कहानी उभर कर सामने आई वो एक तरफा मोहब्बत की थी, दरसरल सुकेश विनिता के यहाँ क्ई सालों से किराये दार की हैसियत से रह रहा था उस दौरान विनिता का विवाह भी नहीं हुआ था, विनिता सुकेश से कभी कभार बातें कर लिया करती मगर उसके मन में सुकेश के लिए कुछ भी नहीं था,बस सुकेश ही मन ही मन विनिता को चाहता था। दिन इसी तरह गुजरते रहें और सुकेश कभी भी विनिता को अपने मन की बात कहने की हिम्मत न जुटा सका , और फिर एक दिन विनिता की शादी भी हो गई और वो अपने परिवार में व्यस्त हो गई वो जब भी मायके आती सुकेश उसे एक टक निहारा करता।
और उस दिन भी वो हमेशा की तरह मायके आई थी,विनिता की कमजोरी सोना थी सुकेश ये बात जानता था एक दिन उसनें विनिता से कहा कि उसके मित्र की सुनार की दुकान है वो चाहे तो अपने पुराने गहनों के बदले नये गहने बनवा सकतीं है वो भी बहुत कम ब्याज पर विनिता मान गई और अपने कानों की बालियां सोने की चेन कंगन सब लेकर सुकेश के संग चल पड़ी रास्ते में सुकेश ने विनिता से कहा चलों आईसक्रीम खाते है और दोनों पास ही के एक पार्क में बैठकर आईसक्रीम खाने लगे आईसक्रीम खाते हुए सुकेश ने विनिता के गालों में एक चुंबन अंकित कर दिया कि तभी उसके आंखों के आगे अंधेरा छा गया क्योंकि विनिता ने एक झन्नाटेदार तमाचा सुकेश के गालों पर रसीद कर दिया था,सुकेश गुस्से से तमतमा उठा और उसनें वही विनिता का गला घोंट कर उसकी हत्या कर दी और पार्क के ही कोने में एक झील में उसकी लाश फेक दी,बाद में गहनों को उसनें अपने मित्र की दुकान पर जाकर बेचा और कुछ दिनों के लिए अपने मामा के यहाँ लखनऊ चला गया था,और कुछ दिनों बाद वापस आया था ये सोचकर कि अब उस पर कोई शक नहीं करेगा मगर समीर के सपने ने उसका सारा भांडा फोड़ दिया था।
सुकेश को कारावास में डाल दिया गया, कुछ दिनों बाद समीर भी बच्चों को साथ लेकर बैगलोर चला आया,एक दिन शाम को फिर वो उसी झील के किनारे बैठा था मगर इस बार कंकड़ डालने पर कोई बुलबुला ऊपर नहीं उभरा,समीर समझ गया कि शायद ये सब साक्ष्य उसे विनिता ही कहीं न कहीं दिखा रहीं थी।
© Deepa