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आत्म संगनी के चमत्कारी छाया
आत्म संगनी और मेरे मध्य स्थापित संबंधों के बीच एक और अहम किरदार भी है जो आत्म संगनी की छाया थी,लेकिन उसके और मेरे मध्य बने मधुर संबंधों की अप्रत्यक्ष रूप से साक्षी थी। वह मेरी बहन जैसी थी।आत्म संगनी ओर मेरे परस्पर संबंध के बीच का आधार स्तंभ अगर कोई थी तो जगतजननी।जी हां मैने उसका नाम जगत जननी रखा था,क्योंकि वह पीड़ित मानवता की सेवा में समर्पित एक ऐसी शख्सियत थी जिसने अपना पूर्ण जीवन मानवता की सेवा विशेषकर पीड़ित मानवता समर्पित कर दिया था। आत्म संगनी की बहन होने के नाते उसका मेरे प्रति स्नेह,समर्पण और सम्मान दिन प्रतिदिन बढ़ना मेरे लिए किसी ईश्वरीय वरदान से कम नहीं था। जगत जननी का मेरे ,मेरे परिवार ,मेरे स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता मुझे आनंदित करती रही है।
गत दिनों अचानक मेरे जीवन में एक वज्रपात हुआ मेरी जीवन दायिनी पर अचानक बीमारी का प्रहार हुआ।आत्म संगनी तो इस बात से चिंतित थी ही लेकिन जगत जननी भी उसी शिद्दत से मेरे वा मेरी माता के स्वास्थ्य के प्रति बेहद चिंतित दिखी।उसका निरंतर एक एक बात पर नजर रखना मुझे बहुत संतोष प्रदान कर रहा था। आत्म संगनी द्वारा चिंता में वैभव लक्ष्मी व्रत रखना,तपस्या करना और चिंता में व्याकुल होना मुझे आत्म विश्वास प्रदान कर रहा था।
जगत जननी का मेरे जीवन पर बहुत उपकार रहा है,एक वही है जिसने मेरे बचपन की एक अधूरी आशा कहूं या पिपासा या सपना कहूं जो कि मेरे कैलाशवासी पिता से भी संबद्ध था को न सिर्फ पूर्ण कराया वरन सम्मनजनक समारोह आयोजित कर मुझे ऋणी कर दिया। उसकी इस मेहरबानी के तले में जीवन भर दबा रहूंगा।जबकि इसका और आत्म संगनी का बारंबार यह कहना था कि कोई अहसान नहीं किया।लेकिन वास्तविक यही थी कि यदि जगत जननी द्वारा यह उपकार नही किया होता तो मेरा सपना अधूरा रह जाता।
जो भी हो आत्म संगनी ओर इसकी चमत्कारी छाया के प्रति मैं जीवन भर ऋणी रहूंगा।
© Dr.SYED KHALID QAIS