...

17 views

श्लोक
कर्मणये वाधिकारस्ते मां फलेषु कदाचन।
मां कर्मफलहेतुर्भू: मांते संङगोस्त्वकर्मणि।।

अर्थात :
श्री कृष्ण भगवान ने अर्जुन से कहा:
आप को अपने निर्धारित कर्तव्य का पालन करने का अधिकार है, लेकिन आप कभी कर्म फल की इच्छा से कर्म मत करो। (कर्म फल देने का अधिकार सिर्फ ईश्वर को है)

कर्म फल की अपेक्षा से आप कभी कर्म मत करें,
न ही आप की कभी कर्म न करने में प्रवृर्ति हो।
(आप की हमेशा कर्म करने में प्रवृर्ति हो)