...

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वो चली गई अपने जहान
निर्मल माया के संग,
अपने स्वर से मन मोहती हुई,
वो चली गयी अपने जहान।

सुंदरता के राग बिखेरकर,
चली गई हवा के संग,
रंगीन जहान को बेरंग कर,
वो चली गयी अपने जहान।

इंद्धनुष् मे भी हृदय रखकर,
मेरी धरा को स्वर्ग बना दिया,
सोमरस सी बहती नदी,
निकलकर आई पर्वतो से इस जहान
वो चली गयी अपने जहान।

अब है शांति हर जगह,
जैसे घुला हो प्रेम रस,
पर कुछ अधूरा रह गया कवियत्री के मन में,
क्योंकि , वो चली गई अपने जहान