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चलो, असल खुशियां तलाशते हैं!
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ऐसा लगता है कि सारी दुनिया ही खुशियां खोजने में लगी लेकिन तलाश पूरी नहीं हो रही है। ज़्यादातर लोग धन-दौलत को ही खुशियों का आधार मान बैठे हैं। ‘ब्रांड- संस्कृति' से प्रभावित होकर लोग सामानों से घर भर रहे हैं भले ही फिर कर्ज़ क्यों न लेना पड़े?! Credit Card ले आइए। उधार लेकर घी पीजिए।

एक विशेष ब्रांड के मोबाइल फोन लेने के लिए चीन में युवा अपनी किडनी बेचने को तैयार थे। दस-पंद्रह लाख में अच्छी कार आ जाती है लेकिन एक विशेष कंपनी का बाईक का craze है जिसकी रेंज शुरू ही दस-पंद्रह लाख से होती है।

Happy Meal Pack जो चार पांच सौ रूपए में आता है जो किसी भी सूरत में Happy meal नहीं लगता क्योंकि उससे सही मायने में दो लोगों का पेट भी नहीं भरता। Mall Culture भी कहां कम है। व्यक्ति एक चीज़ लेने जाता है, दस उठा लाता है भले ही आवश्यकता है या नहीं! क्योंकि अगली खरीद पर redeem करने के लिए 500 का कूपन मिल रहा था या दो की खरीद पर एक फ्री मिल रहा है या फिर जूते की कीमत रूपए 5000/- से काटकर रूपए 2500/- कर दी गई!

सामान, पैसा, मकान, दुकान, शराब और शबाब— अगर यह चीज़ें असल खुशियां दे सकती तो अमीर संपन्न लोग परेशान और दुखी नहीं होते।

खुशियां कहां हैं? जानते हैं आप?! सबसे पहले यह जान लीजिए आपके लिए महत्वपूर्ण क्या होना चाहिए। निम्न बिंदुओं पर ध्यान दें:-

• सर्वप्रथम्, वो सारे रिश्ते जो आपके जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं जैसे आपका परिवार, मां-बाप, भाई-बहन, पत्नी, बच्चे और दोस्त! उन्हें अहमियत दीजिए। उनसे स्नेह जताइए। उनसे बतियाएं, हंसी- ठठ्ठा कीजिए।
• पैसा कमाने में अपना सारा समय मत ख़र्च कीजिए। परिवार और स्वयं के लिए समय चुराइए या निर्धारित कीजिए।
• आपके शौक, hobbies और passions का क्या हुआ? Cooking, singing, writing, painting, hiking, gardening, traveling etc.— उन्हें ज़िंदा कीजिए। हर हाल में ज़िंदा रखिए।
• घरवालों के साथ फिल्म देखिए या पिकनिक मनाइए।
• आपकी hard earned आय बेकार ख़र्च करने के लिए नहीं है। सोच समझ कर खर्चिए। Non branded good quality चीजों को भी चुनिए।
• Cut your coat according to your cloth —इस नियम का पालन कीजिए।
• क़र्ज़ एक दुष्चक्र है। जितना संभव हो बचिए!
• वही खरीदिए जिसकी आवश्यकता है।
• अपनी आय का कम से कम पचास प्रतिशत बचाइए क्योंकि दुख, बीमारी, उच्च शिक्षा, कोर्ट-कचहरी के समय सिर्फ और सिर्फ आपकी Savings ही काम आएंगी।
• आप कुछ भी करें लेकिन आध्यात्म और रूहानियत से ज़रूर जुड़े।
• किसी से भी किसी तरह की अपनी तुलना न कीजिए। तुलना दुखों का कारण हैं।
• अपने मन, वचन, कर्म से किसी का बुरा न कीजिए।

यकीन मानिए, खुशियां आसपास बिखरी पड़ी हैं। बस हमें समेटने की, सहेजने की तमीज़ नहीं है। सरल जीवन ही सुंदर होता है।अगर नहीं तो अपने माता-पिता से पूछिए। पूरी संभावना है कि वो सहमत होंगे।
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—Vijay Kumar—
© Truly Chambyal