वक्त.... आत्मचिंतन
कहते हैं.. "दुनिया में इंसान खाली हाथ आया था खाली हाथ ही जाएगा।" पर यकीनन हम वक्त पर ही आये थे और जन्म मरण तक का वक्त लिखवाकर लाये थे, और इस अंतराल के वक्त को सार्थक बनाना था, पर बदनसीबी "वक्त ही नहीं है" की तर्ज पर अपना वक्त हम निरर्थक करने में किस कदर व्यस्त हैं।
© PJ Singh
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