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तलाश
मेरी जिंदगी में हर चीज ठीक उसी प्रकार उलझ सी गई है जैसे कि उंगलियों में धागे । किसी एक को सुलझाने की कोशिश में जैसे ही सफल होती प्रतीत होती हूँ बाकी के धागे परस्पर और ज़्यादा उलझ से जाते हैं ।

आज उन्हीं धागों के छोर की तलाश में निकली तो पता चला कि आपकी लाख कोशिशों के बावजूद भी ये पूरी तरह से सुलझने की प्रक्रिया में या तो टूट जाते हैं या फिर इन्हें हार मानकर किसी किनारे में रख दिया जाता है या फिर अनुपयोगी मानकर फेंक दिया जाता है ।

हमारी सोच भी ठीक इसी प्रकार है । हम इंसान हमेशा उसी चीज़ / व्यक्ति के पीछे भागते हैं जो हमें हासिल नहीं । जिसमें हम अपना पूरा समय तो व्यर्थ करते ही हैं साथ खो देते हैं अपना अस्तित्व भी । हमारे इस चाहत की होड़ में हम खो देते है हजारों अपनें लाखों अनोखे पल । जी हाँ , हम खो देते हैं अपना वर्तमान , वर्तमान की हर वो खुशी , हर वो पल जो शायद से हम जी सकते थें ।

हम इंसान अपनी चाहत तो पूरी कर लेते हैं लेकिन हमनें अपनी आकांक्षाओं पर नियंत्रण करना कभी सीखा ही नहीं। बड़ी बड़ी खुशियों , बड़े सपनों के फ़ेर में हमने अपने जीवन की हर हसीन खुशियां अपने ही पैरों तले रौंद डाली। अन्ततः हासिल भी क्या हुआ ? ये दुःख , अवसादब, पीड़ा , तनाव । क्या हम पूरी जिंदगी इन्हीं की तलाश में भटक रहे थें ??

नहीं ना ,
इसलिए जीवन के हर क्षण का आनंद ले उसे एक चिरस्थायी स्मृति का रूप प्रदान करिए। आप सभी जानते हैं हमारा जीवन आश्चर्य , झटकें, अच्छी और बुरी खबर , अप्रत्याशित मोड़ और तमाम कठिनाइयों से भरा पड़ा है । कभी -कभी हम स्वयं की सूझबूझ से वैभव और आनंद के उत्तुंग शिखर पर पहुंच जाते हैं तो कभी अपनी आकांक्षाओं से मात खा सबसे मुश्किल दिनों का सामना करना पड़ जाता है।

उस पल हम याद करते हैं अपनी पिछली गलतियों और असफलताओं को जो हमें अत्यधिक चिंतित कर हमारे मस्तिष्क को और तनावपूर्ण कर हमारे जीवन के पतन का कारण बन जाती हैं ।
इसलिए भविष्य की कल्पना और अतीत के ख़्याल से ऊपर उठ , दिखावे की जिंदगी से सत्य के जीवन मार्ग की ओर अग्रसर होना पड़ेगा । मेरा यह कहना बिल्कुल ग़लत नहीं होगा कि आजकल लोगों का जीवन झूठ की बुनियाद पर टिका हुआ है । हम सभी किताबी ज्ञान का कीड़ा बन चुके हैं आध्यात्मिक ज्ञान के अभाव में अहंकार से ग्रसित हैं । सब कोई धन का मालिक बनने के लिए सदा से लालयित है । सभी को रावण के भांति शक्तिशाली तो बनना है पर किसी ने राम की तरह त्याग और तपस्या का जीवन जीना शायद ही सीखा हो ।

निष्कर्ष :-
"हमारी आकांक्षाएं ही हमारे पतन का कारण हैं । "

©अनन्या राय पराशर













© Ananya Rai Parashar