...

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बिटिया की कहानी पिता के जुबानी
जिंदगी मे आगे बढ़ना है तो किसी की न सुनो बस इतना याद रखो पापा को बहुत आस है मुझसे।

पिता जी

जो बाप इस तपती धूप में तुम्हे पढाने के लिए मर रहा हैं, जल रहा हैं उससे पूछो
कैसे करता होगा सब कुछ वो
तुम्हारी एक एक महीने की फीस
तुम्हारे किताबे, घर का खर्चा
बाप का फ़र्ज़, बड़ा बेटा होने का फर्ज़,
एक पति होने का फर्ज़,
वो कैसे निभाता होगा एक साथ इतने किरदार
ख़ुद फटा पहन कर नन्ही परी बनाये रखता है तुमको
कुछ मांगो तो संत क्लॉज़ बन जाता
कभी न देखता जेब वो अपनी
तुम्हारी हर खुशिया जादूगर बनकर पूरा करता
तुम्हारी खुशी के खातिर घोड़ा, गधा न जाने क्या क्या बनता हैं
बस आस यही रहती है मेरी बिटिया नाम करेगी इस जग मे
न होगा कोई इसके जैसे
मैं करूँगा हर ख्वाहिश पूरी
अपनी नन्ही बिटिया को उड़ना सिख लाऊंगा
नाम करेगी इस जग में
सर उठाकर मैं इसका बाप ख्लावाउंगा
हर सपने पूरा करूँगा बिटिया के
इस जग में नाम कमायेगी