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माता - पिता कि आज्ञा
बाल्मीकि अभ्यारण में एक कठफोड़वा पक्षी अपने परिवार के साथ रहता था।इसमें उसके दो बच्चे और एक मादा संगिनी बड़े प्यार से रहा करते थे। नर और मादा का काम बारी- बारी जाकर दाना चुनना और अपने बच्चो के साथ पेट भरना तथा बरसात के मौसम के लिए भोजन एकत्र करना था। उसी वृक्ष के नीचे एक मोटा और कला सर्प रहा करता था।एक दिन उसे पता चला कि कठफोड़वा के बच्चे अब थोड़े बड़े हो गए है और उनके माता - पिता भी अब ज्यादातर भोजन के तलाश में बाहर ही रहा करते है तो क्यों ना कभी उनके बच्चो से दर्शन किया जाए और अपने भूखे पेट को तसल्ली दिया जाए।
हर रोज कि तरह एक दिन जब नर- मादा भोजन कि तलाश में उड़ चले तो दुबककर उनके जाने का प्रतीक्षा कर रहा काला सर्प बाहर आया और धीरे धीरे वृक्ष के उपर चढ़्ने लगा,जब वह उनके मान के पास पहुंचा तो देखा कि बिल तो काफी छोटा है फिर मै अंदर कैसे जा सकता हूं? तब उसने अपने सैतानी दिमाग से सोचा कि मै अंदर न जा सकूं तो क्या मै उन्हें फुसलाकर बाहर नहीं बुला सकता। ये सोचकर उसने प्यार भरे आवाज मे बोला- बच्चो तुमलोग हमेशा अंदर ही रहा करते हो कभी बाहर भी आओ खेलने, यहां खूब अच्छी - अच्छी पकवान भी मिलता है, यहां बहुत सारे दोस्त भी तुमसे मिलेंगे।
सर्प के बहुत सारे बहाने के बाद भी जब बच्चे बाहर न आए तब लालची सर्प बोला ठीक है मत आओ सारे पकवान मै ही खा जाता हू। तब एक बच्चा बोल पड़ा कि क्या पकवान बहुत मीठे है? तब सर्प बोला आकर खुद ही देख लो।तब दूसरा बच्चा बोला नहीं मेरे पिताजी ने मना किया है कि कोई भी बाहर बुलाए मत जाना,बाहर हमलोगो के लिए खतरा है। सर्प बोला,अरे मै उनका ही दोस्त हूं और सुबह ही उनसे मिला था और जब मै पकवान बना रहा था तब उन्होंने कहा था कि मेरे बच्चो को थोड़ा सा दे आना।इसी तरह के कई लालच देने के बाद जब बच्चे बाहर न आए तब सर्प बोला ठीक है बाहर मत आओ मै जा रहा हूं कल फिर आऊंगा और ये कहकर वह वृक्ष से नीचे उतर आया।
जब शाम को नर-मादा भोजन लेकर वापस आए तब बच्चो ने उस सर्प कि पूरी बात बताई।ये बात सुनकर वे दोनों बहुत डर गए और बच्चो से पूछा तुम लोग बाहर तो नहीं गए न। इसपर बच्चे बोले कि आपने ही तो हमे हर रोज मना करते है कि बाहर कोई बुलाए तो मत जाना तो फिर हम बाहर कैसे जा सकते है? ये बात सुनकर नर-मादा बहुत खुश हुए और उनके आंखो से आंसू बह चले और वे दोनों कुछ देर तक उस पुरानी आपबीती घटना मे खो गए कि कैसे उस मक्कार सर्प ने उनके पहले बच्चे को खाया था।
हमे भी ऐसे ही अपने माता - पिता कि बात माननी चाहिए क्योंकि वे हमेशा हमारी भलाई ही चाहते है और कोई मुसीबत न आजाए इस बात का ख्याल भी रखते है।
© Rohit kumar