दोस्ती
चार दोस्त है हम
कोई बात हो ना हो
पर रोज़ हमारा मिलना तय होता था
दिन थे वो भी हमारी ज़िंदगी के
गाड़ियां होती नहीं थी हमारे पास
पैदल ही कई किलोमीटर की
सड़के नाप लेते थे
चाहे अनजान हो गलियां
या सुनसान हो सड़कें
चारो बेफिक्र ही
उन गलियों में...
कोई बात हो ना हो
पर रोज़ हमारा मिलना तय होता था
दिन थे वो भी हमारी ज़िंदगी के
गाड़ियां होती नहीं थी हमारे पास
पैदल ही कई किलोमीटर की
सड़के नाप लेते थे
चाहे अनजान हो गलियां
या सुनसान हो सड़कें
चारो बेफिक्र ही
उन गलियों में...