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तेरा मेरा
कंडक्टर ने किराया इकट्ठा करना प्रारंभ कर दिया था। बस तेजी से भागी जा रही थी। भैया एक रूपया वापिस दो ना, किराया नौ रूपये है ना, हमने दस रूपये का नोट दिया है आपको। तो क्या हुआ, खुल्ले नौ रूपये दो ना, फिर। उसने कहा।अभी हमारे पास नहीं है एक रूपया।आते ही वापिस कर देंगे। और आगे बढ़ गया। वह भी चुप हो बैठ गयी थी।
थोड़ी ही देर में बस रूकी।और कंडक्टर की आबाज गूंजने लगी । उतरो !चलो !जाने कहां-कहां से चढ़ जाते हैं। चलो ,चलो जल्दी करो। बस लेट हो रही है। अरे भैया वीस रूपये ले लो ना, हमें नहीं उतारो, उस वृद्ध ने गिडगिड़ाते हुए कहा था। किराया बाबीस रूपये है, तो क्या हुआ। दो रूपये ही तो कम हैं, हम पर और नहीं हैं भैया। भगवान तुम्हारा भला करेगा। पर कंडक्टर नहीं माना ,उसने एक ना सुनी, और वृद्ध की पोटली को नीचे पटक कर, वृद्ध को रास्ते में ही उतारकर बस आगे बढ़ गयी।


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