...

10 views

"कंटीली झाड़ियां"
अमिता को ये एहसास हो चुका था कि वो अब इस जंगल में पूरी तरह से फंस चुकी है। इतना स्याह और घना जंगल था कि इसका ओर और छोर कुछ भी अमिता को दिखाई नहीं दे रहा था।
आख़िर वो करें भी तो क्या करें। कितना कहा था सुमित ने उसे कि जंगल में मत जाओ मगर उसे तो जंगल में सर्चिंग करना था पेड़ पौधों पर क्योंकि वो बोटानिकल विभाग में कार्यरत थी और उसे अक़्सर ऐसे थिसीस की जरूरत पड़ती रहती थी।
क्या बिगड़ जाता अगर वो सुमित को भी साथ ले आती ? मगर उसे तो थीसिस लिखनी थी अब भुगतो वो मन ही मन खुद पर बड़बड़ायी।
रात काफ़ी हो चुकी थी और वो यहां पागलों की तरह इधर-उधर भटक रही थी।
आख़िर वो जाए तो कहा जाएं? अमिता सोच में पड़ गई। आख़िर क्यों जंगल में इस तरह अमिता चली आई थी? क्या करना चाहती थी वो और क्या वो इस जंगल से निकल पाएंगी या यूं ही भटकतीं रहेंगी? जानने के लिए इसका अगला भाग अवश्य पढ़ें।
लेखन समय-12:40
दिनांक 15.7.24 - रविवार


© Deepa🌿💙