बारिश
उफ्फ इत्ती तेज बारिश जाने कब रुकेगी ये कभी भी बस सुरु हो जाती है मै खुद से बाते करते हुए बालकनी में घूमे जा रही थी बारिश की हलकी फुहारे मेरे साथ जैसे खेल रही थी हाथ में चाय की कप थी और जहन में तुम्हारी यादें ,जो खुद भी उस बारिश सी थी जो कभी भी आ जाती है।मैंने फोन निकाला और तुम्हारी तस्वीरें जो मैंने ना जाने कितनी बार देखी है मै...