सूखे का कहर
एक बार कि बात है आज से लगभग 3 या 4 साल हुए होंगे। न तो बारिश की सम्भावना थी, न तो किसानों को खाने की। अब किसानो को बर्बाद होने की ह्रदय में बाते जागृत हो रही थी। अब उनके अक्ल ठिकाने मे न रहा। गजब की प्राकृतिक कि स्थितियां थी जिनके चिन्तन से किसानों के आंखों से समुद्र की धाराये...