...

6 views

किसी को सुननेे की आदत लगानी थी..
दुख, मन की अनकही व्यथा और सन्नाटों का शोर—यह सब कुछ मैं तुमसे साझा करना चाहता हूं। पर क्या तुम इसके लिए तैयार हो? क्या तुम्हारे पास इतना वक्त है कि तुम इन भावनाओं की गहराई में उतर सको? क्या तुम मेरे भीतर के तूफान को महसूस कर सकोगे, जो बाहर से एक शांत झील जैसा दिखता है, मगर भीतर अपनी लहरों से मुझे डुबो रहा है? क्या तुम देख सकोगे मेरी आंखों से बहते उन आंसुओं को, जो न केवल पानी हैं, बल्कि मेरे भीतर की अनकही कहानियां हैं, दर्द हैं, जो कभी शब्दों में ढल नहीं सके?

क्या तुम मेरी कहानी में शरीक होने को तैयार हो? यकीन मानो, मेरी कहानी में तुम खुद को भी पाओगे। जैसे...