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मेरा पहला प्यार
मेरा पहला प्यार


कल जब ' मैंने उसे देखा बस स्टैंड पर , वही पुराना स्टाइल बाल को खुले हुए और हवा के झोंके से उसका दुपट्टा मेरे चेहरे को बार बार ढक रहे थे। बस के आते ही वो चल पड़ी और जाते जाते मेरे होश भी ले गई। तभी मेरे गाल पर जोर सा थप्पड़ लगा , ' मम्मी थी पास में । बोली कब से तू मेरा पल्लू पकड़ कर अनाब सनाब बक रहा था। तेरा सिर से उसका भूत गया नहीं अभी तक । मम्मी की बातों ने मुझे उसकी फिर याद दिला दी । मेरे collageके दिनों में ' मैं एक लड़की से मिला जिसकी सोच और खयालात मिलते थे मुझसे । रमिया नाम था उसका । रमिया मेरे ही collage के वॉचमैन की बेटी थी। मां बचपन में ही छोड़ चली गई थी सारा जिम्मेदारी रमिया के पिता पर आ गया। मैं और रमिया बस एक दूजे के लिए ही बने थे ऐसा मेरे दोस्त बोलते थे। Collage के दिन खत्म हुए और रमिया को एक टीचर की नौकरी मिल गई थी उसी collage में , मैंने से बधाई भी दिया था । जब मैं वापस लौट रहा था घर को रमिया ने आवाज लगाई , ' मेरी मगनी हो गई है , तुम आओगे तो मुझे अच्छा लगेगा और पापा को भी उसके बोला । ठीक है मैने सिर हिला दिया । उस दिन मेरी हालत ऐसी थी कि मैं चाह कर कुछ भी नहीं बदल सकता था , मम्मी को कहा छुपने वाली थी मेरी तकलीफ । मैं बात करू उससे मम्मी ने बोला, ' नहीं मम्मी वो क्या है ना कि वो मेरी दोस्त है बस शादी करके दूर जा रही है ना इसलिए रोना आ गया । मम्मी में नहीं जा सकता आप चली जाना , क्यू मम्मी ने पूछा । मैं कुछ नहीं बोला और दोस्त के घर चला गया। एक दिन दरवाजे की घंटी बजी और मम्मी ने बोला वो दिवू जा देख कौन आया है । मेरा नाम दिवेश है और मम्मी मुझे दिवू बुलाती है प्यार से । दरवाजा खोला देखा तो रमिया थी , ' मैं अंदर आ जाऊं या .... आओ मैंने बोल दिया । इतने दिनों के बाद सब ठीक है ना , कहां सब ठीक होगा तुम मेरी शादी में भी नहीं आये । नाराज़ हूं तुमसे रमिया ने मुंह फेर के बोला । तभी मम्मी आ गई , ' रमिया । तुम ठीक हो बेटा घर में सब कैसे है । सब ठीक है आंटी रमिया ने बोला । उसने बोला की उसे अभी जाना हैं, बाहर उसके पिता इंतज़ार कर रहे हैं। अंकल ' तुम्हारा पति कहां है वो नहीं आया मैंने उससे पूछा । तो रमिया चुप हो गई और बाहर चली गई। मैं भी बाहर आया तो देखा एक छोटी से बच्ची थी अंकल की गोद में सायाद रमिया की बच्ची होगी । तभी रमिया ने बोल पड़ी मेरी बच्ची देवी कैसी हैं , ' देवी पर देवी क्यू मैं सोच में पड़ गया। मैं उसके पास दौड़ कर गया और बच्ची को उठा लिया अपने गोद में, मुझे अहसास हुआ जैसे मेरे ही शरीर का टुकड़ा हो । मैंने रमिया की ओर देखा तो रमिया ने बताया कि ये उसकी ही बच्ची है , जिस दिन शादी थी उस दिन मुझे पता चला की मैं मां बनने वाली हूं । ये बात सब जगह फैल गई और मेरी शादी टूट गई। रमिया रोने लगी। रमिया को मैंने गले लगा लिया और आज मेरी शादी है ।