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बड़ा भाई पिता जैसा हो होता है

बारिश में गरमा गरम अदरक की चाय की खुशबू, भीनी भीनी मिट्टी की खुशबू सा, वो गजब का सुकून है मेरा बड़ा भाई।।

कहते है की जब परेशानी हो तो मां का आंचल याद आता है और मुझे भाई का सिर पर रखा हाथ याद आता है।।

एक भरोसा , एक सुकून " मैं हूं ना।"
काफी था मेरे जीवन के लिए।।

उस दिन तेज बारिश में बस यही विचार जहन में चल रहे था

भाई की आवाज आई”। छोटी, आजा चाय पी ले, तेरी पसंदीदा चाय है ।”
मैं भाग के गई और बोली "भईया आप मुझे छोड़ के मत जाओ ना pls"

भाई और मुझ में 12 साल का अंतर है और मेरे होते ही मेरी मां चल बसी।। मेरी दादी तो मुझे पनौती कहती है।। ना मुझे हाथ लगाया ना गोद में उठाया ।।

बस एक भाई ने मुझे अपनाया।। उस छोटी सी उम्र में वो बड़ा हो चला था , मुझे दूध गरम कर देने में कभी उसका उसका हाथ जला था तो कभी फल काट के देने में उसका हाथ कटा था।।
हाथ पकड़ के मुझे चलाया था, मां या बाप पता नही , मैने तो बस भाई का ही प्यार पाया था।।
राखी पर मानो खुशी से पागल हो जाता , मैं ही छोटी से परी उसकी सबको बतलाता। हाथ पकड़ के स्कूल ले जाता, बड़े प्यार से मुझे सुलाता ।।
पापा ने तो मुझे कभी नही अपनाया।।

वक्त बीतता गया यूं ही, अब प्यार के साथ फिक्र बड़ने लगी थी।। हर बात मुझे उसकी टोका टोकी लगने लगी थी।। जानता थी दुनिया की नजरों को वो, इसलिए महफूज मुझे रखना था। अब कुछ नियमों के साथ मुझे चलना था।।
इतने में ही खुशी का वो समाचार आया,
भाई को मेहनत और इबादत रंग लाई, भाई की नौकरी लग गई।। पर भाई को 2 महीने ट्रेनिंग के लिए बाहर जाना था।।
और वहीं मेरी जिंदगी को बदलना था।।

आज मन बहुत दुखी था,कल भी को जाना था।।
चाय चाय पीते घूंट अटक गया , मैं रोके बोली मुझे भी ले चलो ना , मैं अपको तंग नहीं करूंगी।। भाई दुखी होकर बोला“ छोटी मैने तुझे कभी अकेले छोड़ा है, वंहा परिवार के सदस्य को ले जाने की अनुमति नहीं है, कंपनी का क्वार्टर हैं।।
सिर्फ 2 महीने और तेरा भाई वापस ।।"
बस वही भाई का प्यार पूरे नियमों के साथ छलका, ये मत करना– वो मत करना की पूरी बातें आई।।
आखिर उस दिन भाई चले गए , मन दुखी था। और मेरी तकदीर को बदलना था।।
स्कूल का बीच चल रहा था, तभी वहां एक नया दाखिला हुआ था ,नाम था “आकाश"।। बस वही नया मोड़ शुरू हुआ था।। मैं शुरू से ही शांत थी, ज्यादा किसी से बात न करना , बस अपने काम से काम रखने वाली थी।।

वो आकाश मेरे जीवन में नए उजाले सा लगा था।। उन दिनों मुझे स्कूल अच्छा लगता था क्योंकि घर पर तो दादी और पापा का साया घिरा था।। आकाश मुझे जैसे देखता , अलग सा लगता था।। वो कुछ कुछ होता है , फिल्म सा लगता था।।
ना जाने क्यों उसने मुझसे ही नोट्स मांगे।।
बस मेरे पास ही बैठता था, मैं हूं कुछ खास , ये अहसास देता था।।

धीरे धीरे में खुश रहने लगी थी, संवरने लगी थी।।

धीरे धीरे वो प्यार वो अहसास जग उठा था, एक दिन हम बगीचे में बैठे पढ़ाई कर रहे थे , अचानक बारिश हो गई।। वो

हम पास ही एक छज्जे के नीचे चले गए ,मैं बचपन से एक फिल्मी ख्वाब देख रहीं थी, बस जैसे अब वो पूरा हो रहा था।।

और उस दिन मैने उसे बिना कुछ कहे, बिना परवाह किया मेरा सब कुछ उसे दे दिया ।। छोटी सी उम्र में बड़ी हो गई

उसने दिया चुपके से एक फोन , घंटो बाते होती फोन पर।। भूली भाई को हर बात, रख संस्कारों को ताक पर।।
उन हवाओं में बह चली थी, अब स्कूल भी बंक करने लगीं थी।। भूल बैठी सब उसके प्यार में, हो गई बावली उसके इकरार में।।

तभी अचानक भईया का आगमन हुआ, आज पहली बार भाई को देखकर खुशी से ज्यादा डर का आगाज हुआ।।
भाई का तो वही प्यार था, ममता सा दुलार था।। छोटी मैं बहुत सी चीजें लाया हु तेरे लिए

मैं देख कर चौंक गई ,भाई मोबाइल , जींस, शर्ट मेरे पसंद को हर चीज लाए थे।।

मुझे माफ कर दे छोटी, वहा जाकर मैने देखा कि इन सब में कोई बुराई नही है।।
लड़का और लड़की साथ काम करते है।।
लड़कियां बहुत आगे बढ़ चुकी हूं।।
मैं तुझे खूब पढ़ाऊंगा, काबिल बनाऊंगा।।

पर मेरे मुख मंडल पर पहले जैसे भाव नहीं थे।। भाई देखते ही पहचान गया को कुछ तो हुआ है।।

मैं डर गई थी, इधर भाई आ गया और उधर आकाश का दो दिन से कुछ पता नहीं कहा गया ??

भाई का मन होता तो तो डांट के सब पूछ सकता था।। पर वो भाई था कभी डांटा ही नही ।।
एकदम खुशी खुशी बोला ” चल छोटी, आज तुझे पिक्चर दिखाकर लता हूं।।
ये जींस पहन ले और रास्ते में तेरे लिए नया सिम भी ले लेंगे
भाई मुझसे मिलने को खुशी में खो गया था।। पर भाई को अहसास था की मुझे कुछ हुआ है , कोई दूसरा अध्याय मेरी जिंदगी से जुड़ा है ।।

हम पिक्चर देख के निकले तो भाई बोला छोटी तूझे एक बात कहनी थी

हां बोला ना भाई

तुझे पता है इन दो महीनो में मेरे साथ बहुत कुछ हुआ है।। मुझे कोई मिला है

उसका नाम कशिश है।। तुझे पता है उसने मेरी पूरी सोच बदल दी।। लड़का लड़की सब समान है , ये बात सीखा दी। अब मैं तेरे सपने को पंख दूंगा

तेरी हर ख्वाइश पूरी करूंगा

छोटी तू मुझे बिना कुछ भी बता सकती है , मैं तुझे समझूंगा पक्का

भाई का वो प्यार देख कर मैं फुटफुट कर रोने लगी ।। भाई ने मुझे गले से लगाया ऐसा लगा बरसो बाद मां का आंचल मिला है।।

मुझे धीरे से बोला ” तू डर मत छोटी, वो आकाश तेरा कुछ नही कर सकता ।। वो आकाश है तो मैं तूफान हूं।।” इतना सुनते ही मेरे पैरों के नीचे से जमीन निकल गई।।
मैनें भाई को डरते डरते देखा।।
हां छोटी मुझे सब पता है, मेरे दोस्त विजय ने 3 दिन पहले ही सब कुछ बता दिया था।।
मैं 3 दिन पहले ही यहां आ गया था।। और पूरी खोजबीन की।। वो लड़का एक गिरोह से जुड़ा था जिसमे वो भोली भाली लड़कियों को फसा कर उन्हें ब्लैकमेल करते है।। पर तू फिक्र मत कर , मैने महिला पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी है

वो तेरा बाल भी बांका नहीं कर सकता ।। बस तुझे वहा जाकर एक जगह साइन करना है।। मैं सदमे में थी और घबराते से बोली मुझे माफ कर दो भाई , मुझे माफ कर दो।। मेरे आंसू नहीं रुक रहे थे ।। भाई प्यार से बोला –छोटी डरना उसे है, तुझे नहीं।। तेरे आगे में दीवार बनके खड़ा हूं ।।
और गलती मेरी है मैने तुझे महफूज तो रखा पर इस दुनिया में भेड़िए भी है बताना भूल गया ।। तेरे इच्छाओं को समाज के डर से बांध दिया।। मेरे प्यार से कमजोर बनाया, आत्मनिर्भर नही।। छोटी अब मैं तुझे खूब पढ़ाऊंगा , तुझे आगे बढ़ाऊंगा , भाई हो या दोस्त हर फर्ज निभाऊंगा।। पर तू मुझसे वादा कर की तू मुझे हर बात बताएगी , मुझसे कुछ ना छुपाएगी।।

मेरी आंखों से डर खत्म हो गया था

वो पहले वाला प्यार आ गया था।। वो बड़ा भाई मेरा अभिमान था, मेरी जान था , वो बड़ा भाई मेरे पिता समान था।।

फिर भाई ने मेरा हाथ थामा और हम दोनो महिला पुलिस थानेकी तरफ निकल पड़े।।
ये सूरज ये किरण मेरे जीवन में नया उजाला लाई थी।। मेरा भगवान है मेरे साथ खड़ा, ये संदेशा लाई थी❣️