!...मेरे दिल की तमन्ना...!
शाम ए गम बन कर बहार गुजर गई,
दरख्त से परिंदे उड़ गए,
शाखो से गिर गए पत्ते सभी
मुफलिसी है इस कदर मेरी जात पर,
दिल ए गुलिश्ता की कली कली उजड़ गई,
सहर हुई मुद्दतो बाद, शब गुजर गई
मद्धम सी चली हवा और रंगत बदल गई,
तू सोचता है कि क्या क्या बदल गया,
बदल गया सब जिंदगी की अदा बदल गई
है पल भर की...