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!...मेरे दिल की तमन्ना...!

शाम ए गम बन कर बहार गुजर गई,
दरख्त से परिंदे उड़ गए,
शाखो से गिर गए पत्ते सभी
मुफलिसी है इस कदर मेरी जात पर,
दिल ए गुलिश्ता की कली कली उजड़ गई,
सहर हुई मुद्दतो बाद, शब गुजर गई
मद्धम सी चली हवा और रंगत बदल गई,
तू सोचता है कि क्या क्या बदल गया,
बदल गया सब जिंदगी की अदा बदल गई
है पल भर की जिंदगी,कुछ पास नहीं साथ नहीं
सब थे साथ मेरे और सब की चाल बदल गई,
आलम ए अरवाह से आया हूं, राज़ ए कुन बनकर
कुछ पल के लिए हूं यहाँ, और जात बदल गयी
और भी राजदान है यहां, मेरे सिवा, खुदा के लिए
सीने में तलातुम लिए, बुल गुम है चमन के लिए
चश्मे निकल कर पहाड़ों की आगोश से
प्यासे की प्यास में गुल हो कर ना जाने कहां खो गई
है तमन्ना कि ढूंढे कोई बहर ओ बर में मुझको कहीं
मगर जुस्तुजू ए दिल लगी में सनम
रुकुंगा नहीं खुद की जिद है यहीं
सितारो की मद्धम चमक की तरफ
तलातुम की दुनिया में फिरता हुआ
जहां तक निगाहे चली है मेरी
मुझे है तमन्ना कि जाऊं वही
काफ़िले से जुदा हूं भटकता हुआ
अटकता रपटता संभलता हुआ
मेरी कस्ती है सहरा की रेत पर
भवर में फसा हू न दरिया मगर
तड़पता है माही इधर से उधर
मेरी है तमन्ना की जाऊं उधर
यहीं मेरी मंजिल यहीं का हू में
मेरे दिल की कश्ती का साहिल इधर
यहां दर्द है, इश्क पिन्हा यहां
यही राज है और है ये राज ए खुदा
यहां से आगाज ए सफर मेरा होगा
रुकेगी धड़कन फिर आराम होगा..!

© —-Aun_Ansari