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bakshish
#TheWritingProjectदिन भर लकड़िया काटने के बाद वो पेड की छांव में आराम करने बेठ गया। पसीने से तर शरीर को मंद मंद हवा झंकोर रही थी।
'आज मालिक से वेतन लेकर बच्चों की अम्मा को हस्पताल दिखा लाता, बेचारी सुबह से चेचक के बुखार से तड़प रही थी।पर मालिक आज आए नहीं, उनके विवाह की पहली वर्षगांठ जो है।'
राजू दौड़ता हुआ आया, "भाभी का देहान्त हो गया, वैद जी ने इलाज़ में देरी बताया।"
"महाजन जी से कुछ पैसे ऊधर लेके देह संस्कार कर दूंगा, न जाने चुनु मुनु अम्मा के बिना कैसे जीएंगे।" इसी सोच विचार में ना जाने कब आंख लग गई पता न चला।
"मालिक ने सभी कामगारों के लिए अपनी वर्षगांठ पर बक्शीस भेजी है, परिवार को भोजन के लिए ले जाना" खजांची ने घूरते हुए बोला।
कैसे बताए की ये बक्शीश अंगीठी की आंच के बदले मैयत की आंच लाई है...
-ojasviladha
© ojasviladha