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मेरा समाज
वाकई हम यह कह सकते हैं कि हमारा समाज अभी अंधा है! क्योंकि समाज अभी तक इन भूत- प्रेत, देैविक आत्माओं और अनेक प्रकार के पाखंड के चलते उसी अंधेरे के गड्ढे में लिप्त है! जहां से उसे अब तक निकल जाना चाहिए था!
कई बार दलित समाज के लिए यह प्रश्न उठता है ! अब तक अन्य सभी समाजों के लोग समझदार हो चुके हैं ,जागृत हो चुके हैं किंतु यह दलित एससी वर्ग अभी तक इन्हीं पाखंडों और इन अनेक प्रकार के जंजालों में ही जकड़ कर रह गया है! कई बार कहा जाता है कि दलित अब जागरूक हो गए, पढ़...