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चम्बल क्षेत्र में डाकू नहीं रहते......
हमारा चम्बल ❤️
जब भी लोगों को बताते हैं ना हम चम्बल से हैं,
तो सबसे पहले उनके दिमाग़ में और कुछ आये ना पर बड़ी -बड़ी बंदूके लिए हूँ खूंखार डांकुयों के डरावाने चेहरे जरूर याद आ जाते हैं!!.......
और याद आते वो बात -बात लड़ाई करने वाले कुछ लोग जो बिना बात के किसी से भी झगड़ जाते हैं!!.....
और इतना ही नहीं किसी istritute में ये बताने से डर लगता है की हम चम्बल की universities से पढ़ाई कर रहे हैं क्युकि ये सुनने के बाद उनका जवाव तो यही रहेगा जरूर नक़ल वाले होंगे 😑!!....
हम उन सबको बताना चाहते हैं ऐसा बिल्कुल नहीं है,
अब यहाँ डाकू नहीं रहते हमारे जैसे भोले -भाले और सरीफ लोग रहते हैं 😜
हाँँ इतिहास में कुछ ऐसे लोग हुए हैं पर अब नहीं हैं।
और रही बात लड़ने की तो भाई खून में गर्मी है 😁 जो border पर भी दिखाते हैं दुश्मनों के छक्के छूटाते हैं एक छोटे से बच्चे से पूछोगे क्या बनना है तो एक ही जवाव मिलता है की फौजी बनना है 😊
और जहाँ तक नक़ल की बात है तो यहाँ भी ऐसे college हैं जहाँ पूरी ईमानदारी और निष्ठा से अध्यापन और परीक्षा कराई जाती हैं।
और कई क्षेत्रों में हमने नाम कमाया है चाहे NSS हों NCC हो या सेना। या फिर civil services.......
और हमें इस बात का गर्व है की हमारे college का उद्घाटन पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी जी(जो उस समय तो प्रधानमंत्री नहीं थीं पर कांग्रेस की उच्च पदादिकारी थीं )के द्वारा 1959 में हुआ था।
तहसील स्तर पर इंदिरा जी आयी तो समझ ही सकते हैं उस क्षेत्र का महत्व।
और इतना ही नहीं रामप्रसाद बिस्मिल जैसे देश भक्त ने यहाँ जन्म लिया।
कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर की पितृ भूमि भी यही है।
बैसे तो चम्बल से यहाँ कोई होगा नहीं और अगर हो तो plzz comment
and i hope आप सब समझ गए होंगे हमारे चम्बल के डाकू नहीं रहते।
© श्वेता श्रीवास