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मेरे बुआ फूफा जी दोनो से कुछ कहना है🙏🏿🙏🏿🙏🏿
भगवान होते है ये में नहीं जानती लेकिन सब कुछ
त्याग कर किसी दूसरे की औलाद पालना वो अपने औलाद से बढ़कर कोई नही कर सकता खुद सगे मां बाप भी नहीं जितना तुमने मुझे दिया वो कोई नही दे सकता था मेरे बाप मेरी मां ने मुझे छोड़ दिया तब तुम दोनो मेरी जिंदगी में आए और
और मुझे बहुत कुछ दिया सिखाया मेरे बोलने से पहले वो चीज मेरे सामने होती थी पर अब कोई नहीं है मुझसे मेरे ज़रूरत पूछने वाला कोई नही है
मेरी कभी फूफा से नही बनी क्योंकि हमारी सोच बहुत अलग थी लेकिन में सिर्फ बाहर से कठोर बनके दिखाती थी वो सोचते थे ये मेरी परवा नही करती लेकिन ऐसा नहीं था में आने वाले कल को लेकर दुखी रहती थी क्योंकि जो होने वाला होता मुझे पहले पता चल जाता और कोई समझने को तैयार नहीं था कि मैं सच बोल रही हूं सबको लगता ये किसी का अच्छा नही सोच सकती तभी हमारी कभी नहीं बनी दिन निकलते गए हमारी सोच वही थी आपस में कभी नहीं बनी में सिर्फ अच्छा चाहती थी और कुछ नहीं लेकिन सब उल्टा ही हो जाता...