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हमारी पाठशाला
मेरी प्राथमिक शिक्षा गांव की एक पाठशाला में हुई.
उस समय गांव में आज की तरह शिक्षक-शिक्षिकाओं को सर और मैडम न कहकर मासाब और बहनजी से संबोधित किया जाता था.
उन दिनों हिंदी विषय में एक पाठ था "गाय"आज के समय में है या नहीं पता नहीं.
तो बहन जी हम बच्चों से पाठ पढ़वातीं जो बच्चा पढ़ता उसका अनुसरण सारे बच्चे जोर-जोर से चिल्लाकर करते.फिर पाठ समाप्ति पर हम बच्चों से बहन जी प्रश्न करती और हम सब बच्चे जोर -जोर से उस प्रश्न का उत्तर देते. हम सब बच्चे हर उत्तर के बाद बहनजी कहना न भूलते . हम बच्चों के लिये बहन जी बहुत आदर सूचक सम्बोधन था जो आज भी है.
बहनजी प्रश्न करतीं
बहनजी - हां तो बच्चों बताओ गाय को हम किस नाम से पुकारते हैं?
बच्चे- गौ माता.
आदि बहुत से प्रश्न उत्तर होते
लेकिन एक प्रश्न के उत्तर पर आज भी हंसी आ जाती है और बचपन की पाठशाला का वह दृश्य जीवंत हो उठता है
जब बहनजी प्रश्न करतीं गाय कौन -कौन से रंग की होती है तो हम सब बच्चे जोर -जोर से चिल्लाकर सामूहिक उत्तर देते- लाल बहनजी,काली बहनजी, सफेद बहनजी, चितकबरी बहन जी.