सादा जीवन: एक मिथक
सादा जीवन: एक मिथक
एक छोटे से गाँव में, जहाँ हरियाली चारों ओर फैली हुई थी और पहाड़ों की ऊँचाई आसमान को छू रही थी, वहाँ एक किसान, रामू, अपने परिवार के साथ रहता था। रामू का जीवन बेहद साधारण और मेहनत करने वाला था। वह रोज़ सुबह सूरज उगने से पहले उठता, अपने खेतों में जाता और दिनभर काम करता। उसकी पत्नी, सीता, घर का काम संभालती और बच्चों की देखभाल करती थी। गाँव के लोग मानते थे कि रामू और सीता का जीवन बहुत सादा है। वे सोचते थे कि इनका जीवन बिना किसी मुसीबत के है।
लेकिन असलियत कुछ और थी। रामू को अपनी फसलों की चिंता रहती थी। हर साल बारिश का मौसम अच्छा हो, यह कभी-कभी ही सही होता था। सूखा...
एक छोटे से गाँव में, जहाँ हरियाली चारों ओर फैली हुई थी और पहाड़ों की ऊँचाई आसमान को छू रही थी, वहाँ एक किसान, रामू, अपने परिवार के साथ रहता था। रामू का जीवन बेहद साधारण और मेहनत करने वाला था। वह रोज़ सुबह सूरज उगने से पहले उठता, अपने खेतों में जाता और दिनभर काम करता। उसकी पत्नी, सीता, घर का काम संभालती और बच्चों की देखभाल करती थी। गाँव के लोग मानते थे कि रामू और सीता का जीवन बहुत सादा है। वे सोचते थे कि इनका जीवन बिना किसी मुसीबत के है।
लेकिन असलियत कुछ और थी। रामू को अपनी फसलों की चिंता रहती थी। हर साल बारिश का मौसम अच्छा हो, यह कभी-कभी ही सही होता था। सूखा...