...

3 views

मैं, तुम और सिर्फ हम
"सुनो, आज शाम की चाय हमारे साथ पी लेना. बस अब तो यही ख़्वाहिश रह गयी है कि कुछ वक़्त हमारे लिए भी निकाल लो. "
"अम्माँ, आपका हुक्म सिर आँखों पर... आप ऐसे मेरा इन्तेज़ार ना किया करें. मुझे तकलीफ़ होती है."

"अरे बेटा, हम मज़ाक़ कर रहे थे. अल्लाह ऐसी आँखों की ठंडक सी औलादें सभी माँ बाप को दे."
" अच्छा बताएँ शाम की चाय कितने बजे पियेंगी. "
" आज नहीं बेटा.. तुम आराम से अपना सेमीनार निपटा लो.. हमने आज रूबी को चाय पर बुलाया है. आज उसके साथ शाम गुजारेंगे. "

" रूबीss... फिर तो मैं सेमीनार में ही डिनर करके आऊँगा. "
" क्या बात है बेटा.. रूबी से इतना चिढ़ते क्यूँ हो.. इतनी अच्छी लड़की है..इतनी हुनरमंद पूरे खानदान में कोई नहीं है और सूरत ऐसी की बस देखते ही रहो.. हल्के हल्के अंदाज़ में बातचीत करने का तरीका उसकी खूबसूरती में चार चाँद लगा देता है.

फिर उसकी फॅमिली में सभी एक से बढ़कर एक पढ़े लिखे हैं और शरीफ है.. मजाल है कि किसी को अपनी इतनी दौलत का ज़रा सा भी घमंड हो. "

" अम्माँ, अगर आप रूबी से मेरी शादी के ख़्वाब देख रहीं है तो अभी इस नींद से जाग जाइए. लाख उस लड़की में लाल टके हो बस वो मेरे टाइप की नहीं है. पता नहीं क्यूँ चिढ़ है मुझे उससे... "
" अच्छा, जाओ तुम ऑफिस जाओ.. इस बात पर बहस फिजूल है. "
" ठीक है अम्माँ, चलता हूँ.. रूबी के घर से जाते ही मैसेज कर दिएगा. "

" हाँ,, हाँ,, कर देंगे.. तुम आजकल के लड़के अक़्ल  के पीछे लठ लिए घूमते हो. "
" कुछ भी कह लें अम्माँ.. लेकिन मैं रूबी के हाथ लगने वाला नहीं हूँ. "
_______________________________________________
" सलाम आंटी, कैसी हैं आप? "
" अल्लाह का करम है.. बहुत अहसान है उसका.. माशाल्लाह बड़ी प्यारी लग रही हो.. हल्का नीला रंग भी बहुत खिल रहा है तुम पर.

तुम्हारी बरी खरीदने में ज़्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी. हम तो हर रंग का जोड़ा खरीदेंगे तुम्हारे लिए."
"जी,, अब मैं क्या कहूँ आंटी.. पहले आपका बेटा तो राज़ी हो जाए. मजाल है कि किसी फोन का जवाब दे दे. "

" अरे सुधर जायेगा तुम फ़िक्र ना करो.. बस हमने तय कर लिया है हमारी बहु तुम ही बनोगी.. हम भी देखते हैं यासीन कैसे हमारी बात नहीं मानेगा.अच्छा दिल छोटा ना करो जाओ जल्दी से चाय बनाकर ले आओ.. आज लॉन में बैठते हैं "
" जी आंटी, आप लॉन में चलिए.. मैं चाय बनाकर लाती हूँ. "

" यासीन, अच्छा हुआ तुम जल्दी आ गये.. रूबी को घर छोड़ आओ बेटा.. उसके यहाँ से कोई लेने नहीं आ पायेगा. बहुत देर से घर जाने के लिए परेशान हो रही है. "

" जी, अम्माँ, जैसा आप का हुक्म.. चलिए मोहतरमा "
" आख़िर क्या वजह है जो आप मुझसे बात नहीं करते हैं. मैंने कितने फोन करती हूँ आपको मजाल है जो एक फोन कभी उठाते हो. "

" तुम रास्ते में उतरना चाहती हो या घर पर? तुम्हें समझ क्यूँ नहीं आता है मुझे ऐसी बातों से चिढ़ है..ऐसी मुँहफट और बेबाक लडकियों से नफ़रत होती है मुझे.तुम्हारे लिए अच्छा यही होगा कि मुझसे दूर रहो. अपनी दोस्ती सिर्फ अम्माँ तक ही रखो."
______________________________________________
"इस लड़के का दिमाग़ बिलकुल ठिकाने पर नहीं है.. आने दो इसे आज इसकी ख़बर लेती हूँ अच्छी तरह.. इसकी हिम्मत कैसे हुई तुम्हें इस तरह बातें सुनाने की. "

" जाने दें आंटी, मैं आप दोनों के बीच में किसी भी झगड़े की वजह नहीं बनना चाहती हूँ. मैंने फोन इसीलिए किया था कि छुट्टियाँ तो शुरू हो गयी हैं लेकिन मैं आपके पास रहने नहीं आ सकती हूँ. यासीन को अच्छा नहीं लगेगा. "

" ठीक है बेटा, तुम्हारी मर्ज़ी. लेकिन हम इतनी जल्दी हार नहीं मान सकते हैं. अपनी कोशिश हम ज़रूर करेंगे. अच्छा चलो हमें थोड़ा काम है फिर बात करेंगे इंशाअल्लाह. "
" जी आंटी सलाम.. ज़रूर. "

" अरे नजमा, अपनी पड़ोसन के लड़के बिलाल से रूबी का रिश्ता चला दो. सीमा अपनी लड़की के रिश्ते को बहुत परेशान हैं. अच्छा सुनो आज ही रिश्ता भिजवा देना. कल हम फिर फोन करेंगे. अल्लाह हाफ़िज़ "

" अम्माँ ss.. क्या हो गया है आपको.. बिलाल रूबी के लायक नहीं है.. सारा दिन पान की दुकान पर खड़ा रहता है और आते जाते ल़डकियों को ताड़ता रहता है. कैसी बात कर रहीं हैं आप.. आंटी को अभी फौरन मना कीजिए. "

" किस हक़ से उसका रिश्ता छुड़ा रहे हो. बिलाल की माँ रूबी को अपनी बहु बनाने के लिए दोनों हाथों से तैयार बैठी है. बस सीमा ही मेरे दिए भरम में बैठी थी. सो हमने उससे कल कह दिया है कि तुम इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं हो. "

" अम्माँ इसका मतलब ये नहीं की रूबी के साथ इस तरह की ज्यादती की जाये. "
" अब तुम छोड़ो इस बात को.. हम ख़ुद देख लेंगे. सभी लड़के गैर जिम्मेदार होते हैं. शादी होगी तो सब ठीक हो जायेगा.तुम तो सुकून में हो हमें इससे बढ़कर और क्या चाहिए "
______________________________________________
" रूबी,जैसे हम कह रहे हैं वैसा ही करना.. यासीन के किसी फोन का कोई जवाब नहीं देना है. "
" अरे आंटी छोड़ें आप..जहाँ मेहनत कर रहीं हैं वहाँ से कोई हल नहीं मिलेगा. "

" फल मिलना या ना मिलना रब के हाथ में है.. बन्दे को कोशिश करते रहना चाहिए.अच्छा अपना सामान पैक करो. दो दिन बाद एक हफ्ते के लिए तुम यहाँ रहने आ रही हो. "

" पता नहीं आंटी आप क्या करने जा रहीं हैं मुझे तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा है. "
" बेटा बस जो कह रहीं हूँ उतना करती जाओ. "
" जी "

" अम्माँ ये इतनी सारी मिठाइयाँ कहाँ से आयी हैं. "
" बेटा ये बिलाल और रूबी के घर से आयीं हैं.. दोनों का रिश्ता तय हो गया है. हम इस रिश्ते के बीच में हैं इसीलिए दोनों घरों से मिठाइयाँ आयी हैं."

"क्या बात कर रहीं हैं अम्माँ.. आप ऐसा कैसे कर सकती हैं.. एक इतनी अच्छी लड़की को कैसे आपने जहन्नुम में धकेल दिया है. "
आज पहली बार यासीन को रूबी के लिए दुख हो रहा था.

" अजीब लड़का है.. जब तुम्हारे लिए चुना था तो वो इस लायक नहीं थी. अब बिलाल को उसके लिए चुना है तो बिलाल रूबी के लायक नहीं है. मुझे तो लगने लगा है कि तुम ही किसी लायक नहीं रहो.दिमाग में ठान लिया है कि अम्माँ का हर फ़ैसला ठुकराना है "

अम्माँ गुस्से से कहते हुए किचन में चली गयी और यासीन दुःखी मन से रूबी के बारे में सोचने लगा. उसे खुद मालूम नहीं हो पा रहा था कि आखिर उसे रूबी और बिलाल के रिश्ते से मसला क्या है?
_____________________________________________
" हैलो,क्या आप मिस्टर यासीन बात कर रहे हैं?"
"जी, मैं ही यासीन हूँ.. आप कौन हैं?"

"मिस्टर यासीन, हम सर्वोदय हॉस्पिटल से बात कर रहे हैं. आपकी मदर यहाँ आज दोपहर में एडमिट हुई हैं. बाथरूम में गिरने की वजह से उनके बाएँ पैर ज़्यादा चोट लगी है.पैर की हड्डी तो ठीक है लेकिन इटरनल ब्लीडिंग नहीं रुक रही है इसलिए एक छोटी सी सर्जरी जल्दी ही करनी होगी. इसीलिए आपका यहाँ आना बहुत ज़रूरी है. "

यासीन की आँखों के सामने अँधेरा छाने लगा था. अम्माँ ही कुल मिलाकर उसकी अपनी दुनिया में बाकी थी. वहफौरन ही छुट्टी लेकर हॉस्पिटल की तरफ़ निकल गया.

"यासीन,आप परेशान ना हो. आंटी बिलकुल ठीक हो जाएँगी. देखिए आंटी का ऑपरेशन भी कामयाब रहा है. "
रूबी ने उसे समझाते हुए कहा.
"नहीं परेशान नहीं हूँ.. बस यही सोच रहा हूँ कि अगर तुम उस वक़्त अम्माँ के साथ नहीं होती तो बहुत बड़ी अनहोनी हो सकती थी. Thanks रूबी..

पर तुम मुझे कॉल कर सकती थी ना.. हॉस्पिटल से क्यूँ इन्फॉर्म कराया. "
" आप मेरे फोन कहाँ उठाते हैं.. और इस हादसे की वजह से देर करना मुनासिब नहीं था. "
" वेरी स्मार्ट.. सॉरी फॉर ऑल थिंग्स. मैं तुम्हें लेकर कुछ ज़्यादा ही गलत था. "

" it's ok.. यासीन, प्लीज आप शर्मिन्दा नहीं हों. "
" मिस्टर यासीन, आपकी मदर होश में आ गयीं हैं. आप सब उनसे मिल सकते हैं. अब वो बिलकुल खतरे से बाहर हैं.कल सुबह आप उन्हें घर ले जा सकते हैं "

Thank you so much डॉक्टर" यासीन की आँखें खुशी से भर आयी थी.. अम्माँ की खैरियत की ख़बर उसके लिए सबसे बड़ी ख़ुशखबरी थी.
_______________________________________________
"अम्माँ आप ठीक तो हैं ना.. रास्ते में ज्यादा दर्द तो नहीं हुआ."
"हाँ, बेटा मैं ठीक हूँ .अब चोट है तो हल्की दुखन कुछ दिन तो रहेगी ही.तुम परेशान ना हो. रूबी मेरे ठीक होने तक मेरे पास रहेगी."

"ठीक है अम्माँ.. जैसा आप कहें."
"अरे बेटा आज ऑफिस से इतनी जल्दी क्यूँ आ गए हो?मैंने कहा था ना मेरी फ़िक्र नहीं करना.रूबी मेरे पास है ."
"नहीं अम्माँ.. बस काम में ध्यान नहीं लगा पा रहा था. इसीलिए आ गया. "

" आंटी.. आपसे मिलने बिलाल आये हैं "
" अरे रूबी बेटा ये क्या पूछने की बात है जल्दी उसे अंदर लेकर आओ. "
" रूबी तुम रहने दो.. मैं लेकर आता हूँ और हाँ तुम किचन में जाकर चाय बनाओ. "

" रूबी, जो मैं देख रही हूँ क्या वही तुम भी देख रही हो. "सादिया ने यासीन के बाहर जाते ही हैरानी से रूबी से पूछा
" जी आंटी, हॉस्पिटल में अपने सारे बर्ताव के लिए सॉरी भी बोला .शायद आपके गिरने की वजह से घबरा गये हैं "

" नहीं.. नहीं.. मेरा बेटा ऐसे नहीं घबराता है.अच्छाssss
अब समझ में आ गया है ये बिलाल से तुम्हारे रिश्ते की झूठी ख़बर का असर है. मुबारक हो मेरी बच्ची.. "

" आंटी, आप क्या कह रही हैं.. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है. मैं किचन में जाकर चाय बनाती हूँ. "रूबी हैरान सी थी
" सब्र करो मेरी बच्ची. जल्दी ही तुम्हें भी सब कुछ बता दूँगी. हा हा हा हा "
_______________________________________________
"सलाम.. यासीन भाई, आंटी के एक्सीडेंट का पता चला इसलिए उनकी खैरियत मालूम करने के लिए अम्मी ने भेजा है.. कैसी हैं आंटी अब ?"

"अम्माँ ठीक हैं अब अल्लाह का शुक्र है. आओ अंदर आओ. "यासीन ने उसे घूरते हुए कहा

" नहीं यासीन भाई थोड़ा ज़रूरी काम है.. ये फल आंटी के लिए लाया था. "यासीन के सामने बिलाल की हवा सरकती थी इसीलिए वह यहाँ रुकना नहीं चाह रहा था.
" ठीक है.. अल्लाह हाफ़िज़ "

" यासीन, बिलाल कहाँ है.. क्या तूने उसे भगा दिया है? "
" नहीं अम्माँ, खुद ही चला गया है. ये फल अमीना आंटी ने आपके लिये भिजवाए हैं. "
" ज़रूर तूने ही उसे जाने को कहा होगा. जाने क्यूँ तुझे उससे चिढ़ है."
"अम्माँ मैंने कुछ नहीं कहा है. ख़ुद ही बड़ा लाउबाली सा है वो. "

" रूबी बिलाल बाहर से ही चला गया है.शायद उसे पता हो कि तुम यहाँ हो इसीलिए अंदर ना आया हो. "सादिया ने कमरे में चाय लाती हुई रूबी से कहा.

यासीन रूबी को देख रहा था इसीलिए रूबी कुछ नहीं बोल पायी थी. बस टेबल पर चाय रखकर चुपचाप सादिया के पास बैठ गयी.
" अम्माँ, रूबी का बिलाल से रिश्ता ख़त्म करा दिये. "
" क्या बात है यासीन तुम्हें इस रिश्ते से परेशानी क्यूँ हैं और हम किस हक़ से बोलें इस रिश्ते में. जब तुम्हें इस बारे में बोलने का इख़्तियार दिया था तब तुम्हें बोलना नहीं था. दूसरे की बच्ची की ज़िंदगी से हम क्यूँ खिलवाड़ करें. "

" अम्माँ, खिलवाड़ आप अभी कर रही हैं. "
" आंटी मैं लॉन में जा रही हूँ. "रूबी माँ और बेटे की बहस से घबरा गयी थी.

" नहीं रूबी, तुम कहीं नहीं जा सकती हो अभी ना लॉन में और ना ही उस बिलाल के घर में. तुम सिर्फ यहीं रहोगी हमेशा हमारे साथ.
अम्माँ मैं उस इख़्तियार को वापस पाना चाहता हूँ. और मुझे अब इस बारे में कुछ भी नहीं सुनना है.
आप देखें आप कैसे इस सब को मैनेज करेंगी.अभी आप आराम करें. मेरी एक ऑनलाइन मीटिंग है मैं बाहर लॉन में हूँ. "

" मुबारक हो मेरी बच्ची.. हमने क्या कहा था. माँ हैं उसकी. बिलाल के रिश्ते की ख़बर सुनते ही बहुत बेचैन हो गया था. हमें तो तभी शक हो गया था...ख़ैर देर आये दुरुस्त आये.. अल्लाह का लाख लाख शुक्र है. बेटा जाओ उसे लॉन में ही चाय दे आओ "
_______________________________________________
" आपकी चाय लायी हूँ. "
" सुनो रूबी, मेरी बात को लेकर तुम्हारे मन में अगर कोई सवाल है तो पूछ सकती हो."
" जी, सवाल बस यही है कि कौन से यासीन को असली समझूँ. उस यासीन को जिसे मुझसे चिढ़ थी या इसे जो शायद मुझे कहीं जाने नहीं दे रहा है."

"दोनों अपनी जगह असली हैं. चिढ़ मुझे इस बात से थी कि अपनी पढ़ाई के ऊपर तुम्हारा कोई ध्यान नहीं है. आज के हालात के हिसाब से हर एक का इंडिपेंडेंट होना बहुत ज़रूरी है. मगर तुम लड़कियों का अजीब ही सीन होता है.

पढ़ाई लिखाई के साथ बैक ऑफ माइंड में एक अमीर शहजादे का तसव्वुर भी चलता है.मैं बस यही चाहता था कि तुम अपने करिअर पर ध्यान दो. शादी तो होना ही है.आज नहीं तो दो साल बाद.लेकिन पता नहीं सबको तुम्हारी शादी की इतनी जल्दी क्यूँ है.

मैं नहीं तो वो बिलाल ही सही.... बिलाल और तुम... उफ्फ्फ मैं उसका सिर फोड दूँगा अगर उसने तुम्हारे आसपास आने की कोशिश भी की तो. "

" तो ये बात आप मुझसे सीधे कह सकते थे.अगर मैं ना करती तो फिर आप जैसे चाहे वो सुलूक कर सकते थे. आपको नहीं पता आप मेरे लिए कितने अहम हैं. आपकी खुशी जिसमें है वो बात ना मानूँ ये कभी हो नहीं सकता है. "

" रूबी, मैं जानता हूँ.. सब पता है मुझे मेरी रूबी कैसी है. लेकिन अब कुछ करने की जरूरत नहीं है.अब पहले शादी होगी और शादी के साथ पढ़ाई जारी रहेगी.मैं चाहता हूँ तुम अपनी ज़िंदगी में कामयाब हो.

मुझे समझ नहीं आता कि जिन लड़कियों को उनके माँ बाप ऊँचे आसमान में उड़ने के लिए पंख देते हैं अच्छी पढ़ाई लिखाई कराते हैं.और शादी के बाद वही पंख उतार कर बस घर के कामकाज में लड़की को लगा दिया जाता है.

फिर पलटकर कोई ये देखने की ज़हमत नहीं करता है कि उसका दिल जिंदा है या मार दिया गया है. "
" यासीन.. मैं बहुत खुशकिस्मत हूँ जिसे आप जैसा हमसफर मिल रहा है. "

" रूबी ये सोच मुझ तक और तुम तक बाकी नहीं रहनी चाहिए. अपनी पढ़ाई पूरी करके तुम भी मेरे साथ इस नेक सोच को बढ़ाने में मदद करना.जिससे हमारे समाज में औरतें दिल से भी ज़िन्दा रह सकें. और उनके चेहरों पर आने वाली मुस्कुराहट सच्ची हो. "
" ज़रूर,अच्छा आप अपना ऑफिस का काम करिये मैं आंटी के पास जाती हूँ. "
" आंटी नहीं अम्माँ "यासीन ने हँसते हुए कहा
" जी "रूबी मुस्कुराकर अंदर घर की तरफ बढ़ते हुए यही सोच रही थी कि अचानक उसके दिल का मौसम कितना सुहावना हो चला था.यासीन ,अम्माँ और मैं
या यूँ कहूँ मैं, तुम और सिर्फ हम तीनों. सही बात है रब की ज़ात से कभी मायूस नहीं होना चाहिए बस अपनी कोशिश करते रहना चाहिए.
NOOR EY ISHAL
© All Rights Reserved