बिगुल....
आज रमेश पूरे दो साल बाद अपने घर जाने के लिए अपना सामान पैक कर रहा था। परसों राखी जो थी।इधर उसकी तीन बहनें भी अपने भाई को राखी बांधने को उतनी हीं उतावली थी क्योंकि पूरे दो साल हो गए जब से रमेश की नौकरी लगी सेना में वो घर नहीं आ पाया था।आज वो दिन आ ही गया जब रमेश को छुट्टी मिली घर जाने को। लेकिन ये क्या रमेश चौक गया उसे कुछ आवाज़े सुनाई दी ।ये आवाज़ थी बिगुल की जो सैनिकों को इकठ्ठा करने के लिए बजाई गयी थी।रमेश अपने आधे पैक किये बैग वैसे हीं छोड़ कर सैनिकों के पास चले गया।पड़ोसी देश ने सीमा पर गोली बारी की थी तो युद्ध का ऐलान हो चुका था।बहनें ये पूछने के लिए बार-बार भाई को फोन लगा रही थी की भईया कहाँ पहुंचे हो पर not reachable बता रहा था। कुछ देर बाद...