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बिगुल....

आज रमेश पूरे दो साल बाद अपने घर जाने के लिए अपना सामान पैक कर रहा था। परसों राखी जो थी।इधर उसकी तीन बहनें भी अपने भाई को राखी बांधने को उतनी हीं उतावली थी क्योंकि पूरे दो साल हो गए जब से रमेश की नौकरी लगी सेना में वो घर नहीं आ पाया था।आज वो दिन आ ही गया जब रमेश को छुट्टी मिली घर जाने को। लेकिन ये क्या रमेश चौक गया उसे कुछ आवाज़े सुनाई दी ।ये आवाज़ थी बिगुल की जो सैनिकों को इकठ्ठा करने के लिए बजाई गयी थी।रमेश अपने आधे पैक किये बैग वैसे हीं छोड़ कर सैनिकों के पास चले गया।पड़ोसी देश ने सीमा पर गोली बारी की थी तो युद्ध का ऐलान हो चुका था।बहनें ये पूछने के लिए बार-बार भाई को फोन लगा रही थी की भईया कहाँ पहुंचे हो पर not reachable बता रहा था। कुछ देर बाद फोन की घन्टी बजती है...और पूरा परिवार स्तब्ध हो उठा। माँ बेसुध होकर गिर पड़ी।पिताजी
के होंठ थर -थर कॉंप रहे थे।न जाने कौन सी घड़ी थी जिसमें दुखों की लहरें अचानक आकर पूरे परिवार को अपने चपेट में ले लिया था।

आज रक्षा बंधन के दिन रमेश के घर पूरा गाँव और मोहल्ला जुटा था क्योंकि आज रमेश का पार्थिव शरीर उसके घर आने वाला था। जब पार्थिव शरीर आया सबकी आँखें और हृदय अनकही पीड़ा से ग्रसित होने लगी। मोहल्ले वाले आपस में बातें कर रहे थे क्या ज़रूरत थी सेना में भेजने की एकलौते बेटे को एक तो पिता रिटायर्ड और तीन बहनों को कौन देखेगा।
इतना सुनकर पिता ने अपने आँसू पोंछ डाले और हृदय पर पत्थर रख लिया मानो अब उस पत्थर को कोई हिला न सकता हो अब वो पार्थिव शरीर नहीं बल्कि गौर से अपनी तीनों बेटियों को देखने लगे।
बहनें अपने भाई के कलाई पर गर्व से राखी बांधी उसी भाई के कलाई पर
जिसने देश की सेवा में अपनी जान न्योछावर कर अमरत्व को प्राप्त किया।
अब इस घटना को तीन साल हो चुके थे। आज उनकी सबसे छोटी बेटी का रिजल्ट आने वाला था। खुशी से पूरा परिवार झूम उठा क्योंकि उनकी छोटी बेटी का सलेक्शन सिविल सर्विस में हो चुका था। अब जो मुहल्ले वाले ये कह रहे थे कि तीन बेटियों की ज़िम्मेदारी कौन देखेगा वो अब
उसी बेटी की वजह से मोहल्ले में सुरक्षित महसूस करते है। आज रमेश
के घर में लोगों की भीड़ जुटी थी पर मिठाईयां लेकर आने वालों की।
रमेश के जाने के बाद उसके पिता ने अपने परिवार की नींव बनकर तीनों
बेटियों में इतना उत्साह भर दिया खुद को सक्षम बनाने के प्रति की उसका नतीजा ये हुआ दो बड़ी बेटियां इंडियन आर्मी में ऑफिसर के पोस्ट पर और छोटी बेटी सिविल सेवा मेंअपना दूसरा स्थान हासिल किया।
छोटी बेटी ने अपनी बहनों को भी फ़ोन किया यह खुशखबरी सुनाने के लिए।
" हेलो दीदी-आपको पता है मेरा चयन सिविल सर्विसेज में हो चुका है
दीदी मैं सेलेक्ट हो गयी ।"अरे वाह छोटी तूने तो कमाल ही कर दिया" दीदी ने कहा। दीदी कुछ ठीक से सुनाई नहीं दे रहा है Hello- Hello दीदी
आप सुन रही हो Hello। "हाँ छोटी सुन रही हूँ दीदी ने चिल्लाते हुए कहा।दीदी ये कैसी आवाज़ आ रही है। हाँ छोटी मैं तुझसे बाद में बात करती हूँ।"
फिर एक बार बिगुल बज रहा था जंग के लिए। लेकिन इस बार रमेश नहीं था उसकी दोनों बहनों ने कमान संभाला था देश की सुरक्षा का।


© shalini ✍️