दिल की बात
इक़ बार जो टूटा, फिर बारहा टूटता ही गया,
जो भी मिला अपना सा, हमसे रूठता ही गया।
हुनर जीतने का दिल, कभी आया ही नहीं हमें,
देखते ही देखते हाथ, हाथों से छूटता ही गया।
किसकी खता...
जो भी मिला अपना सा, हमसे रूठता ही गया।
हुनर जीतने का दिल, कभी आया ही नहीं हमें,
देखते ही देखते हाथ, हाथों से छूटता ही गया।
किसकी खता...