...

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नयी सुबह
कुछ दिनों से तबियत ठीक नहीं मालूम पड़ती थी सोचा आज आफिस से अवकाश ले लिया जाए ये सब दिल में चल ही रहा था कि दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी..खट खट..खट खट.. मैंने थकी हुई आवाज में पूछा कौन है कोई भी नहीं बोला।
मैंने पुनः पूछने का प्रयास किया लेकिन फिर से कोई भी ज़वाब नहीं मिला।
बात आई गई हो गई दिन व दिन मेरी तबियत ख़राब हो रही थी फिर मन में ख्याल आया क्यों ना एक बार डॉ से अपनी समस्या के विषय में बताया जाए।
डॉ ने मझे कुछ टेस्ट करवाने के लिए कहा मैंने सारे टेस्ट करवाएं परन्तु सब ठीक था मुझे समझ नहीं आता था कि मेरे साथ क्या हो रहा था।
तभी एक दिन मैं आफिस के काम से कहीं बाहर गया जब शाम को घर आया तो देखता हूं कि मेरे घर के पास भीड़ लगी है मैं नज़दीक गया और डर गया सहम गया मेरे पड़ोस में रहने वाले शर्मा जी की किसी ने हत्या कर दी थी
आस पास पुलिस थी सबसे पूछताछ चल रही थी।
कल शाम को तो हम साथ साथ बैठे चाय पी रहे थे और आज ऐसा कुछ हो जाएगा कल्पना तक नहीं की थी।
पता नहीं दिल बहुत अधीर था कलेजा मुंह को आ गया था।
शर्मा जी को गये कुछ समय बीत चुका था लेकिन उनके हत्यारे को पुलिस नहीं पकड़ सकी थी।
तभी अचानक मुझे किसी ने खबर दी कि घर के पास ही एक और हत्या कर दी गई है मैं डरा सहमा परेशान था समझ नहीं आता था कि क्या करुं।
और साथ ही तबियत भी ठीक नहीं मालूम पड़ती थी।
मैं सो नहीं पाता था हर समय अनजान डर सताने लगा था।
दिन व दिन हत्या हो रही थी लेकिन शातिर हत्यारा पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा था।
पुलिस के लिए यह एक पहेली से कम ना था इक दिन सहसा पुलिस ने मेरे दरवाजे पर दस्तक दी मैं घबरा गया और पुलिस का गुस्से से भरा चेहरा मेरे आंखों के सामने था पुलिस मुझे घसीटते हुए ले जा रही थी।
मैं चीख रहा था रो रहा था तभी कानों में आवाज सुनाई दी क्यों रो रहे हो उठो और काम पर जाओ।
मैं अनजान डर से आज आजाद था यह सुबह बाकी की सुबह से बहुत सुकून भरी थी।
ठीक सपनों की तरह ही जीवन की परेशानियों और समस्याओं को लेना चाहिए जो आज हैं कल नहीं होंगी बुरे सपने की तरह समय के साथ सब धूमिल हो जाएगा।
इसी उम्मीद के साथ जीवन जीने से दुःख की रात बीत जाएगी और खुशी और सुकुन वाली नयी सुबह आपका स्वागत करने को तत्पर होगी।


© सृष्टि