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Soulmates....
किसी को अपना soulmate कहने से पहले उसके अर्थ का ज्ञान होना भी जरूरी है l पति पत्नी ही soulmates हो, जरूरी नहीं l ये दो आत्माओं का संबंध है l इस विषय पर हमारी सोच से आप इत्तेफाक रखे, ये जरूरी नहीं l
जैसे हमारी दुनिया होती है, वैसे ही आत्माओं की दुनिया होती है l जब किसी से हमारा संबंध आत्मिक होता है तो उस से जुदाई रूह को मंजूर नहीं होती l उस दुनिया में भी वो साथ होते है लेकिन नियति हर बार उन्हे किसी संबंध में बांधे, ये जरूरी नहीं l आत्मा, आत्मा को हजार पर्दों के पीछे से भी पहचान लेती है l उन्हे सुकूँ केवल एक दूसरे को अथाह भीड़ में ढूंढ लेने से होता है l आत्मा पर स्थूलता के नियम लागू नहीं होते l इसीलिए हज़ारों मील दूर होने पर भी अहसास सजीव होता है l
चाहे कई जन्म बीत जाए, वो हर जन्म में किसी ना किसी प्रकार एक दूसरे को ढूंढ ही लेते है और जब शिद्दत हो तो नियति भी रास्ते बना ही देती है l
एक और भी वजह होती है l उस दुनिया में अपने नये जन्म को प्राप्त करने के इंतज़ार में कई रुहे आपस में मिलती है, पसन्द करती है या कहूँ दोस्ती होती है l ऐसी कोई भी रूह जब हमें मिलती है तो हम किसी अंजान की ओर अचानक आकर्षित होते है, लगता है जैसे जानते है , चाहे वो शिशु हो, स्त्री, पुरुष, बालक, वृद्ध , कोई भी l चाहे कुछ क्षणों का, पर एक खिचाव महसूस करते है l
लेकिन जिसे पाकर आपको सुकूँ आता है, या जिसके ना होने से आप विचलित होते है वो पता नहीं कितने जन्मों की बिछड़ी रुहे होती है, जो एक दूसरे को पा कर किसी और को पाने की इच्छा से मुक्त हो संपूर्णता अनुभव करती है l
अक्सर ऐसे संबंध समझ से परे होते है l जिसे देखा नहीं, जाना नहीं, पहचानते नहीं, लेकिन उसकी हर बात को महसूस करते है l उसकी खुशी से जैसे खुद जी जाते है l उसकी हर बात महसूस होती है l क्योंकि ये दो आत्माओं का रिश्ता होता है l दुनियावी उसूलों से बहुत परे l रहस्य पूर्ण.........

© * नैna *