...

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चतुर -मानव (पार्ट- 1)
सोहन : मै कहाँ हूं। ( इधर -उधर देखते हुए )

चित्रगुप्त : हेलो माई सन, "वेलकम टू द हेवन "।

सोहन : तुम कौन ? (चौकते हुए )

चित्रगुप्त : मै चित्रगप्त ।

सोहन : सवेरे -सवेरे और कोई और नही मिला क्या ? सच -सच बताओ ," तुम कौन हो " और मै कहाँ हूं।

चित्रगुप्त : मै सच कह रहा हूं माई सन ,ये स्वर्ग है , और मै चित्रगुप्त ।

सोहन : चित्रगुप्त" और तुम "अगर तुम "चित्रगुप्त" हो तो "मै यमराज हूं",बोलो (हँसते हुए)

चित्रगुप्त : मै मजाक नही कर रहा हूं।

सोहन : अगर तुम मजाक नही कर रहे हो तो ये मॉडन कपड़े क्यो पहने हो।

सोहन :फिल्मे नही देखते क्या , इत्स ए मोड्न ऐरा , जब तुम इसांन मॉडन हो सकते हो तो हम क्यो नही।

सोहन : मुझे अब भी विश्वास नही हो रहा है।

चित्रगुप्त : अगर तुमे अभी भी विश्वास नही हो रहा , तो ये लो , (उसे लाइब टेलीकास्ट देखाता है ) , तुम्हारा अभी -अभी बस से टकराकर मौत हो गया ।

चित्रगुप्त : नही ऐसा नही हो सकता( ऐसा बोलकर रोने लगा)

चित्रगुप्त : क्या करे , सच्चाई हमेशा कड़वा होता है ।

सोहन : अब विश्वास हो गया।

चित्रगुप्त : (किसी के आने की आहत सुनकर ) लगता है प्रभु आ रहे है।

(यमराज अदंर आकर अपने सिहांसन पर बैठता है।)

चित्रगुप्त : गुड मॉर्निग , प्रभु।

यमराज : गुड मॉर्निग , गुड मॉर्निग ,यही वो बंदा है।

सोहन : बंदा ,

चित्रगुप्त : साइलेंस , जी प्रमु ।

सोहन : गुड मॉर्निग,प्रभु । प्रभु आपसे एक बात कहनी थी।

यमराज : कहो वत्स।

सोहन : आप देखने से तो यमराज नही लगते।

यमराज : क्या ,( गुस्से मे) यम है हम।

सोहन : मे... मेरा कहने का ये मतलब नही था, मै तो बस यही कहना चाहता हूं कि आप देखने मे किसी हीरो से कम नही लगते है।

यमराज : क्या सच मे , मै हीरो जैसा दिखता हूं।

सोहन : सच कहो तो मैने आज तक झूठ बोलना सिखा ही नही। आपके स्मार्टनेस के सामने हीरो भी फेल है।

चित्रगुप्त : थैंक्स (खुश होकर) आज तक कोई मेरी इस तह प्रशंसा नही किया।तुम पहले मानव हो जिसने मुझसे अपनो जैसा बर्ताव किया। संसार के सभी जीव मुझसे भयभीत होते है। पर किसी ने मुझसे इस तरह बात नही किया। अरे मै भी एक जीव हूं। मेरे सिने मे भी दिल है। मेरे भी कुछ भावनाएं है।(ये बोलते ही यमराज के आखँ से आंसू बहने लगते है।)मै खुश हुआ, मांगो क्या वरदान मागंते हो।


चित्रगुप्त : (हो गया इसका नौटंकी चालू),(मन मे)

सोहन : मुझे जो वरदान चाहिए क्या आप दे सकेंगे।

चित्रगुप्त : अब समझ मे आया , प्रभु को मक्खन लगाने का कारण।

यमराज : अवश्य , यम है हम । आई प्रॉमिस टू यू, मांगो क्या मांगते हो। जो तुम मागोंगे मै दूंगा।

चित्रगुप्त : प्रभु , पहले इसकी वरदान तो पुछ लीजिए , कही ऐसा ना हो कि आपको लेने के देने पर जाए।

यमराज: तुम चुप रहो , चित्रगुप्त । जब दो स्मार्ट आपस मे बात कर रहे है तो बीच मे तीसरे को नही बोलना चाहिए।

सोहन: चित्रगुप्त जी को छोड़िए। ये आपसे जलते है। ये नही चाहते की आपसे कोई अच्छे से बात करे।

यमराज : सही कहा तुमने , ये मुझसे जलता है।

चित्रगुप्त : मै और आपसे , नही प्रभु नही कभी नही। ये मानव झूठ बोल रहा है।जरूर इसकी कोई चाल है।

यमराज : चुप रहो तुम , नही तो मै तुमे भस्म कर दूंगा।

सोहन : प्रभु ,

यमराज : हां , वत्स बोलो तुमे कौन सा वरदान चाहिए।





next part come soon.


© suryansh