...

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" उनके दर पर "

उनके दर पर, आकर ! हम बिखर जाते हैं ...
अश्क गिरकर, फिर जाने ! किस शिखर जाते हैं !! २ !!

है कातिल ! वो जाने, कितनी मासूम मोहब्बतों के ...
फिर जाने क्यूँ मुड़, हर दफा ! हम इधर आते हैं !! २ !!

टूटकर उनसे ! फिर भी आख़िर जुड़े हैं ...
टुकड़ा जो कोई उनसा, कहीं और न ढूंढ़ पाते हैं !! २ !!

दो दिलों को मिली ! जाने, कैसी सौगातें हैं ...
बिखरे हैं कहीं ! फिर भी, गेहरे नाते हैं !! २ !!

खुदगर्ज़ी में बेनाम खत ! घर उनके छोड़ आते हैं ...
है दिल उनका भी जाने ! की लिखी किसने ये सख़्त बातें हैं !! २ !!

उनके दर पर, आकर ! हम बिखर जाते हैं ...
अश्क गिरकर, फिर जाने ! किस शिखर जाते हैं !! २ !!

सुखविंदर ✍️🌄✍️

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