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ऐ जिंदगी...
तु ही बता दें क्या हैं,
तेरा फैसला...
कभी तुमसे बात करने की
ख्वाहिशें...
कभी तुमसे मिलने की
आरज़ू...
कभी तुम्हें देखने की
चाहत...
कभी तुम्हारे इंतज़ार की
घड़ी...
कभी तुमसे प्यार करने की
तमन्ना...
कभी तुमसे बिछड़ जाने का
डर...

ऐ जिंदगी कैसी हैं ये तेरी पहेली
कभी तुमसे वो ख्वाबों ख्यालों की
मुलाकात...
कभी तन्हाइयों में तुम्हारी वो
यादें...
एक पल में मुस्कान ले आए
हमारे चेहरे पर...

कभी शीतल लहर सा उसका ख्याल।
कभी ज्वालामुखी सा उसका वो अंदाज।
कभी नाजुक सी वो गुलाब की कोमल कली।
कभी झांसी की रानी सा वो उसका रूप।

उफ़ मेरे ये अनकहे जज़्बात
लिखना तुम्हें मैं चाहूं यूं
मेरे हर एक अल्फाज़ में।
डर लगता हैं फिर तुम्हें खोने से
इसलिए अक्सर छुपा लेते हैं
जुबां पर आने से तुम्हारा नाम ।।
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"ऐ मीत कैसा लिखा तुमने ये गीत"
कुछ भी लिख रहीं हैं आज
मेरी कलम
बन गई तो शायरी वरना पढ़ कर,
थोड़ा मुस्कुरा जरूर देना जनाब।।

🤗✍️✨💞🫰🤗💐🙏