...

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मेरे भी कई #ख्वाब थे,
जो बस ख्वाब ही रह गये!
औरों के लिये वो क़तरे पानी के थे,
अश्क जो मेरी आँखों से बह गये!
सांसों की डोर भी कमज़ोर थी इस क़दर,
होसलों के ज़ाविये एक पल में ढ़ह गये!
फिर यूँ हुआ कि छोड़कर तरक़्क़ी की राह को,
मुस्तक़बिल को जी गये हम लोगों के हाल पर!

#aasgaduli #alfaaz-e-aas #worlddayagainstchildlabour #WritcoQuote