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ज़ुल्मियों के काँपते होंठों से, तब गूँजती हुई हूक उठी थी।
दबदबा क़ायम करती हुई, जब फूलन की बँदूक उठी थी॥
#मानव_दास_मद✍️
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ज़ुल्मियों के काँपते होंठों से, तब गूँजती हुई हूक उठी थी।
दबदबा क़ायम करती हुई, जब फूलन की बँदूक उठी थी॥
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