...

11 Reads

दिल की आवाज़ जो न अब दब सकी
ख्वाबों में ही उनको छुपा लिया मैंने

डर की आंधी से खूब तकरार चली
सुकून से जीने की तलब लगा ली मैंने

गुलामी की राह में माना खो गए हम,
मन में उम्मीद के दीपक जला लिए मैने

खून के रिश्ते से हम कभी ना मुकरेंगे
बस अपनी रूह से ही उम्मीद लगा ली मैंने

फिक्र करने वालों को अब आज़माना छोड़ दिया
रूह में उठी आग को आंसुओ से बुझा लिया मैंने