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एक सीधी बात... बेटी ना हो तो हम लोगों का क्या अस्तित्व है..?
बूरा लगेगा उसके लिए माफ़ी 🙏... पर मूझे लगता है ऐसे लोग कभी भी किसी का लिखा, कहा कभी समझ ही नहीं सकते हैं... क्योंकि अपनी सोच जो बहुत पहले कहीं गिरा आयें
और बिना सोच समझना मूमकिन नहीं

एक बात और.... कायनात ने सब कुछ हमें प्रेम से सहजने को दिया है ... अपनी इच्छानुसार हम उसकी व्यवस्था में परिवर्तन करना चाहेंगे तो यकिनन मंजर तबाही का होगा...
🙏🙏🙏🙏