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हूँ मैं एक पागल दिवाना इत्तेफ़ाक से
लिखता हूँ इश्क़ का फ़साना इत्तेफ़ाक से,
ہوں میں ایک پاگل دیوانہ اتفاق سے
لکھتا ہوں عشق کا فسانہ اتفاق سے

हम दोनों अदद हुए हैं जो पहले सिफ़र थे
तब बना एक सफ़र सुहाना इत्तेफ़ाक से,
ہم دونوں عدد ہوئے ہیں جو پہلے سفر تھے
تب بنا ایک سفر سہانا اتفاق سے

मेरा इश्क़ अब भी तुतलाता है प्यार से
बातें करता है बचकाना इत्तेफ़ाक से,
میرا عشق بھی توتلاتا ہے پیار سے
باتیں کرتا ہے بچکانا اتفاق سے

उसके शहर जैसा नहीं कोई दुसरा शहर
देख चुका दिल्ली-लुधियाना इत्तेफ़ाक से,
اس کے شحر جیسا نہیں کوئی دوسرا شہر
دیکھ چکا دلی لودھیانا اتفاق سے

वो एक बार ही मिला और मुझमें रह गया
उस को ना कर सका रवाना इत्तेफ़ाक से,
وہ ایک بار ہی ملا اور مجھ میں رہ گیا
اس کو نہ کر سکا روانہ اتفاق سے

जो एक ग़ुनाह किया है मिलकर दोनों ने
निक़ाह है इसका ज़ुर्माना इत्तेफ़ाक से।
جو ایک گناہ کیا ہے مل کر دونوں نے
نکاح ہے اس کا جرمانہ اتفاق سے

आमिर शेख़
عامر شیخ



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